अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi | विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi | विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

लघु निबंध –

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु तथा शासन। अनु का अर्थ है पालन करना तथा शासन का मतलब है नियम, अर्थात् नियम का पालन करना। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं।

समस्त प्रकृति भी एक अनुशासन में ही चलती है, जैसे – सूर्य और चन्द्रमा हर दिन सही समय पर उदय होते हैं और सही समय पर ही अस्त होते हैं, सभी ऋतुएं बारी-बारी से आती हैं, बादल समय पर वर्षा करते हैं आदि। प्रकृति कभी भी इसका उलंघन नहीं करती।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन को ही सफलता का महत्वपूर्ण आधार माना गया है। अनुशासित विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में बल्कि खेलकूद और जीवन की हर दौड़ में प्रथम रहता है। विद्यार्थी ही हमारे देश का भविष्य है। यदि इनमें ही अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि हमारे देश का भविष्य कैसा होगा।

जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। सभी कार्यों को समय पर पूरा करना चाहिए। जो भी व्यर्थ के कार्यों हों, उनसे दूर रहना चाहिए। अपने कार्यों को प्रति पूरी लगन एवं ईमानदारी से करना चाहिए।

जो विद्यार्थी अपने माता-पिता, गुरु की आज्ञा का उल्लंघन करता है, उनके द्वारा बताए गए मार्ग में नहीं चलता, वह शिक्षित नहीं हो सकता तथा अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा एवं धन-सभी से वंचित रहता है। अनुशासनहीन व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त देश व समाज के लिए घातक सिद्ध होता है।

अनुशासन सफलता की वो कुंजी है जिसमें ज्ञान का भंडार समाया रहता है तथा इसको संभाल कर रखना हमारी सर्वप्रथम जिम्मेदारी है।

अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi


विस्तृत निबंध –

प्रस्तावना –

अनुशासन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु तथा शासन। अनु का अर्थ है पालन करना तथा शासन का मतलब है नियम, अर्थात् नियम का पालन करना। हमारे जीवन में अनुशासन का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन के बिना कोई भी जीवन में सुखी नहीं रह सकता। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो कि समाज में रहता है और उसे समाज में रहने के लिए अनुशासन की आवश्यकता होती है। हमारे जीवन मे ‘अनुशासन’ एक ऐसा गुण है, जिसकी आवश्‍यकता मनुष्य को पग-पग पर पड़ती है। अनुशासन हमारी सफलता की सीढ़ी है, जिसके सहारे से हम कोई भी मंजिल हासिल कर सकते है। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है।

अनुशासन का महत्व –

हमारे जीवन में अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। यदि मनुष्य अनुशासन के साथ जीवन-यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह का निर्माण करता है। मनुष्य को अपने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में, चाहे वह खेल का मैदान हो, विद्यालय हो, घर हो अथवा घर से बाहर कोई भी जगह। सब जगह ही अनुशासन के नियमों का पालन करना पड़ता है। अनुशासन से हमारे अंदर धैर्य और समझदारी का विकास होता है तथा सही समय पर सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

हमें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिये जहाँ एक ओर नियमित व्यायाम करना, पौष्टिक खान-पान जरूरी है। वहीं दूसरी और अपने व्यवहार को अनुशासित करने के लिए बड़ों का कहना मानना, उनका सम्मान करना और समाज के द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करना भी जरूरी है।

हम देखते है कि समस्त प्रकृति भी एक अनुशासन में ही चलती है, जैसे – सूर्य और चन्द्रमा हर दिन सही समय पर उदय होते हैं और सही समय पर ही अस्त होते हैं, वर्षा, शरद, शिशिर, हेमंत, वसंत, ग्रीष्म ऋतुएं बारी-बारी से आती हैं, बादल समय पर वर्षा करते हैं आदि। प्रकृति कभी भी अनुशासन का उलंघन नहीं करती। इस प्रकार प्रकृति हमें अनुशासनबद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। अनुशासन के द्वारा ही जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है, अनुशासन में न रहने पर व्यक्ति चरित्रहीन, दुराचारी, आलसी तथा निंदनीय हो जाता है और समाज में उसका कोई सम्मान नहीं रहता।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व –

विद्यार्थियों के लिये तो अनुशासन ही सफलता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विद्यार्थी अथवा व्यक्ति समय पर अपना काम प्रारम्भ करता है और समयानुसार उसे समाप्त करता है, उसकी उन्नति कोई नहीं रोक सकता। यही कारण है कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन को ही सफलता का महत्वपूर्ण आधार माना गया है। अनुशासित विद्यार्थी न केवल पढ़ाई में बल्कि खेलकूद और जीवन की हर दौड़ में प्रथम रहता है। विद्यार्थी ही हमारे देश का भविष्य है। यदि इनमें ही अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि हमारे देश का भविष्य कैसा होगा। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन ही समाज की बुराइयों से मुक्त हुए बिना बच्चे को अपने लक्ष्य की ओर जाने में मदद करता है। इसलिए अनुशासन की शिक्षा और उनका पालन करना ही विद्यार्थी का परम कर्तव्य है।

अनुशासन की शिक्षा –

परिवार ही अनुशासन की प्रथम पाठशाला है। बच्चा शिक्षा का पहला पाठ अपने माता-पिता और परिवार से ही सीखता है। बच्चा बचपन में पूरे समय घर पर ही रहता है इसलिए बचपन में अनुशासन सिखाने की सारी जिम्‍मेदारी माता-पिता की ही होती है। इसलिए हमें अपने माता-पिता को कभी भी अस्वीकार नहीं करना चाहिए, कभी भी उनका अपमान नहीं करना चाहिए और हमेशा उनके आदेश का पालन करना चाहिए। हमें उनके अनुभवों के बारे में जानने और उनकी जीत और असफलताओं से सीखने के लिए उन्हें सुनना चाहिए।

परिवार के बाद अनुशासित जीवन की शिक्षा देना विद्यालय की जिम्मेदारी होती है। शुद्ध आचरण वाले गुरुओं के छात्र अनुशासित आचरण करने वाले होते हैं। विद्यालय में बालक के शरीर, आत्मा और मस्तिष्क का संतुलित रूप से विकास होता है। फिर बड़े होने पर हम समाज से अनुशासन सीखते हैं। कुछ सामाजिक क़ायदे और सरकारी क़ानून हमें अनुशासन में रखते हैं। इस प्रकार अनुशासन के यह पाँच स्तम्भ हैं- परिवार, गुरुजनों की सीख, समाज के आचार-व्यवहार, शिक्षा प्रणाली और सरकारी क़ानून।

अनुशासित रहने के तरीके –

हमें अपने जीवन में अनुशासन को अपनाने के लिए एक संतुलित और नियमित दिनचर्या का पालन करना चाहिए। सभी कार्यों को समय पर पूरा करने का हरसंभव प्रयास करना चाहिए। जो भी व्यर्थ के कार्यों हों, उनसे दूर रहना चाहिए। बुरी आदतों और कार्यों से हमेशा दूरी बनानी चाहिए। अपने कार्यों को प्रति पूरी लगन एवं ईमानदारी से करना चाहिए।

अनुशासन के लाभ एवं आवश्यकता –

जीवन में अनुशासन को अपनाने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इसलिये बचपन से ही इसका अभ्यास करना श्रेष्ठ होता है। अनुशासित रहने वाले व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में मान-सम्मान और सफलता प्राप्त करते हैं। वैसे तो जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में यह अत्यंत आवश्यक है, परन्तु विद्यार्थी-जीवन में यही सफलता की एकमात्र चाबी है।

जो विद्यार्थी अपने माता-पिता, गुरु की आज्ञा का उल्लंघन करता है, उनके द्वारा बताए गए मार्ग में नहीं चलता, वह शिक्षित नहीं हो सकता तथा अपने जीवन में पद, प्रतिष्ठा एवं धन-सभी से वंचित रहता है। इसलिए माता-पिता को हर समय अपने बच्चों को प्रेरित करते रहने की जुरुरत पड़ती है जिससे वो दूसरों से अच्छा व्यवहार करें और हर कार्य को सही समय पर करें। कुछ शैतान बच्चे अपने माता-पिता के अनुशासन को नहीं मानते हैं, ऐसे वक्त में अभिभावकों को हिम्मत और धैर्य के साथ अपने बदमाश बच्चों को सिखाना चाहिये।

स्व-अनुशासन का अर्थ सभी व्यक्तियों के लिये अलग-अलग होता है जैसे विद्यार्थियों के लिये इसका अर्थ है सही समय पर एकाग्रता के साथ पढ़ना और दिये गये कार्य को पूरा करना। काम करने वाले व्यक्तियों के लिये सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, समय पर कार्यालय जाना और ऑफिस के कार्य को ठीक ढंग से करना आदि। एक ओर जहाँ छात्रों के लिये यह उनके भविष्य को सुनहरा बनाने का कार्य करता है, वही दूसरी ओर नौकरीपेशा लोगों के लिये यह तरक्की के मार्ग भी खोलता है | ऐसे ही चाहे युद्ध के मैदान हो या खेल के मैदान, विजयी वही होते हैं, जो अनुशासित रहकर आगे बढ़ते हैं।

अनुशासनहीनता एक अभिशाप –

अनुशासनहीन व्यक्ति केवल अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त देश व समाज के लिए घातक सिद्ध होता है। आज जहाँ तक नजर दौड़ाते हैं वहाँ तक केवल अनुशासनहीनता का साम्राज्य ही दिखाई देता है। विद्यार्थी भी राजनीति और समाज में फैली अराजकता के शिकार हैं। अनुशासनहीनता व्यक्ति को गैर-जिम्मेदार और आलसी बनाती है। यह हमारे विश्वास के स्तर को कम करती है और आसान कार्यों में भी व्यक्ति को दुविधाग्रस्त रखती है। दुर्भाग्यवश आज अनुशासनहीनता अत्यधिक बढ़ रही है। अनुशासनहीनता मनुष्य को विनाश के पथ पर अग्रसर करती है।

उपसंहार –

अनुशासन ही विद्यार्थियों के भविष्य को कल्याणकारी बनाता है। अनुशासन सफलता की वो कुंजी है जिसमें ज्ञान का भंडार समाया रहता है तथा इसको संभाल कर रखना हमारी सर्वप्रथम जिम्मेदारी है। कहा जाता है कि छोटा बच्चा कच्ची मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा आकार दिया जाए वह वैसा ही बन जाता है। अतः आवश्यक है कि बचपन से ही बच्चों को इसका महत्त्व बताया जाए और उसका पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।

अनुशासन वह सीढ़ी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सफलता की ऊँचाई की ओर चढ़ सकता है। हमें नियमों का पालन करने, आदेशों का पालन करने और व्यवस्थित तरीके से व्यवहार करने की आवश्यकता है। हमें अपने दैनिक जीवन में अनुशासन को अत्यधिक महत्व देना चाहिए। हमारे जीवन, माता-पिता, शिक्षक, परिवार, पर्यावरण, वातावरण आदि के प्रति हमारी बहुत सारी जिम्मेदारियाँ हैं। उन जिम्मेदारियों को समझते हुए हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।

One thought on “अनुशासन पर निबंध | Essay on Discipline in Hindi | विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

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    Good Essay for everyone ?.

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