Hindi Paheliyan
300+ हिंदी पहेलियों का संग्रह (उत्तर सहित) | Hindi Paheliyan with Answers
किसी व्यक्ति की बुद्धि या समझ की परीक्षा लेने वाले एक प्रकार के प्रश्न, वाक्य अथवा वर्णन को पहेली (Puzzle, Riddle) कहते हैं, जिसमें किसी वस्तु का लक्षण या गुण घुमा फिराकर भ्रामक रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अगर आप अपने दिमाग को मजबूत करना चाहते हैं, तो पहेलियाँ आपकी मदद कर सकती हैं। हम अपना दिमाग जितना पहेली सुलझाने में लगाते हैं, उससे हमारी दिमागी क्षमता उतनी ही बढ़ती है। पहेलियाँ, मानसिक सजगता एव निरीक्षण क्षमता के विकास का एक सहज व प्रभावशाली साधन है।
हम पहेलियाँ बुझाकर क्या सीखते हैं?
एक छोटी सी पहेली बुझाना भी हमें और हमारे बच्चों को कई तरीके से प्रभावित कर सकती है। पहेलियाँ बुझाने से निम्नलिखित फायदे होते हैं-
1. जब माता-पिता बच्चे के साथ मिलकर ऐसे दिमाग चलाने वाले खेल खेलते हैं, तो यह उनके बीच के रिश्ते को और मजबूत करता है। यह बच्चों को दूसरों के साथ बातचीत करने और सामाजिक बातों को समझने में भी मदद करता है।
2. पहेलियाँ बच्चों को कम उम्र में समस्याओं का समाधान ढूंढने और जटिल चीजों को समझने में मदद करती हैं, जो किसी व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण कौशल हैं।
3. जब बच्चे पहेलियों में आए हुए शब्द समझ नहीं पाते, तो वे उनका अर्थ ढूंढने की कोशिश करते हैं और इस प्रकार ये बच्चों के शब्दों के ज्ञान को बढ़ाती हैं ।
4. भाषा द्वारा किसी चीज को समझना स्कूली शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहेलियाँ बुझाने की कला से बच्चे किसी संदर्भ से शब्दों या वाक्यांशों को समझ सकते हैं, और उसमें छुपे हुए अर्थ को पहचान सकते हैं ।
1. अन्त कटे तो कदम रखें, मध्य कटे तो ‘डर’ बन जाऊं।
खुद न चल सकूँ मगर, राही को मंजिल पर पहुंचाऊं।।
उत्तर: डगर
2. आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।
दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।
उत्तर: भुट्टा
3. आठ कलाएं उसकी होतीं, शीतल-चंचल, वर्ण धवल।
रातों का राजा है वो, चाहे सरद हो चाहे गरम।।
उत्तर: चन्द्रमा
4. अचरज बंगला एक बनाया, बाँस न बल्ला बंधन धने।
ऊपर नींव तरे घर छाया, कहे खुसरो घर कैसे बने।।
उत्तर: बयाँ पंछी का घोंसला
5. आप खोलो तो बोलें, तुम्हारे अंगना डोलें।
बंद कर दो जो आप हमें, तो आप खुद को ही खोलें।।
उत्तर: दरवाज़ा या खिड़की
6. आदि कटे तो गीत सुनाऊँ, मध्य कटे तो संत बन जाऊँ।
अंत कटे साथ बन जाता, सबके मन को हरदम भाता।।
उत्तर: संगीत
7. आगे से कटीला, पीछे से गत गठीला।
तुम जो हाथ लगाओ तो, ठहर नहीं पाओ।।
उत्तर: बिच्छू
8. आदत कुछ कर गुजर जाने की,
जरूरत बस आपका साथ निभाने की।
कहानियों को दी साँसे, इतिहास किया दफ़न,
मैंने ही सींचे सपने, करो मेरी शक्ति को नमन।।
उत्तर: कलम
9. अन्त करें तो पुर्जा बनू, मध्य कटे आऊं।
सिर काटो तो मैं चलू, अपने तेवर दिखलाऊं।।
उत्तर: कलम
10. अन्त कटे तो मानव हूं, प्रथम कटे ‘नम’ हो जाऊं।
मध्य काट तो ‘जम’ जाऊं, बोलो-मैं क्या कहलाऊं।।
उत्तर: जन्म
11 . अन्त कटे तो ‘सूर’ हुआ मैं, प्रथम कटा तो धूल।
मुझसे ही हैं दिन और रातें, जीवन का हूँ मूल।।
उत्तर: सूरज
12. अन्त हटा दो ताकत हूं, मध्य हटा दो ‘बम’।
हर औरत को प्यारा हूं, मतलब मेरा सजन।।
उत्तर: बलम
13. अन्त कटा तो ‘पपी’ रहा, कुछ भी मतलब नाय,
आदि काटकर ठीक है, पीता-पीता जाय।
मध्य कटे झट जान लो, तुरंत ‘पता लग जाए,
बोलो-मैं क्या कहलाऊं।।
उत्तर: पपीता
14. अन्त कटे कौआ बन जाए, प्रथक कटे दूरी का माप।
मध्य कंटे तो बटन का साथी, अक्षर तीन बता दें आप।।
उत्तर: कागज
15. अन्त कटे तो जमा जोड हूं, मध्य कटे तो जना।
आदि कटे तो सबने माना, कैसे हाय आ गया जमाना।।
उत्तर: ज़माना
16. अन्त नहीं तो फौज समझिए, आदि नहीं तो बन गया नानी।
देश प्रेम के लिए न्यौछावर, उनकी बड़ी महान कहानी।।
उत्तर: सेनानी
17. आसमान में उड़े पेड़ पर, घोंसला न बनाएँ।
तूफान से डरे रहने को, धरती पर आ जाएँ।।
उत्तर: हवाई जहाज
18. आता है तो फूल खिलाता, पक्षी गाते गाना।
सभी को जीवन देता है, पर उसके पास न जाना।।
उत्तर: सूरज
19. अश्व की सवारी, भाला ले भारी।
घास की रोटी खाई, जारी रखी लड़ाई।।
उत्तर: राणाप्रताप
20. आदि कटे से सबको पारे, मध्य कटे से सबको मारे।
अन्त कटे से सबको मीठा, खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
उत्तर: काजल
21. आज यहाँ कल वहाँ रहे, नहीं किसी के पास रुके।
और रुक जाए किसी के घर, तो फिर घुमा देता है सर।।
उत्तर: पैसा
22. आंखें मूंद के खाते हैं, और खाकर पछताते हैं।
जो कोई पूछे क्या था वो, तो कहते शरमाते हैं।।
उत्तर: धोखा
23. आदि कटे तो दशरथ सुत हूँ, मध्य कटे, तो ‘आम’।
अंत कटे, तो शहर बना इक, बूझो मेरा नाम।।
उत्तर: आराम
24. अक्षर तीन का मेरा नाम, तैरना है मेरा काम।
उल्टा सीधा एक समान, बूझो तो जानू मेरा नाम।।
उत्तर: जहाज
25. अगर प्यास लगे तो पी सकते हैं, भूख लगे तो खा सकते हैं।
और अगर ठण्ड लगे तो उसे जला भी सकते हैं, बोलो क्या है वो।।
उत्तर: नारियल
26. आगे ‘प‘ है मध्य में भी ‘प‘, अंत में इसके ‘ह‘ है,
कटी पतंग नहीं ये भैया।
न बिल्ली चूहा है, वन में पेड़ों पर रहता है, सुर में रहकर कुछ कहता है,
बताओ क्या।।
उत्तर: पपीहा
27. इचक दाना बीचक दाना, दाने ऊपर दाना।
छज्जे ऊपर मोर नाचे, लड़का है दीवाना।।
उत्तर: अनार
28. उड़ता है पर पक्षी नहीं, ताकतवर हैं उसके अंग।
सर्दी हो या गर्मी यह रहता है, सदा मस्त मलंग।।
उत्तर: हवाई जहाज
29. उल्टा करो तो नदी की धारा, सीधा रखो तो देवी।
पीताम्बर के साथ रहूँ मैं, नाम बताओ बेबी।।
उत्तर: राधा
30. उल्टा कर दो रंग भरूं, सीधा रखो मैं फल हूँ।
बीमारों का दोस्त हूँ मैं, देता उन्हें बहुत बल हूँ।।
उत्तर: चीकू
31. उलटी हो कर ‘सब कुछ होती, सीधी रहूं तो सब को ढोती,
जल्दी से मेरा तुम बच्चों, नाम कहो जसतस।
वरना बुद्ध कान पकड़ लो और कहो तुम ‘बस’,
नाम बताओ बस।।
उत्तर: बस
32. उछले दौड़े कूदे दिनभर, यह दिखने में बड़ा ही सुंदर,
लेकिन नहीं ये भालू बंदर।
अपनी धुन में मस्त कलंदर, इसके नाम में जुड़ा है रन,
घर हैं इसके सुंदर वन, बताओ कौन।।
उत्तर: हिरन
33. उज्जवल बरन अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत मैं तो साधु है, पर निपट पार की खान।।
उत्तर: बगुला (पक्षी)
34. ऊपर से एक रंग हो, और भीतर चित्तीदार।
सो प्यारी बातें करे, फिकर अनोखी नार।।
उत्तर: सुपारी
35. ऊँट की बैठक, हिरन की चाल।
एक जंतु ऐसा, जिसके दुम ना बाल।।
उत्तर: मेंढक
36. एक नार ने अचरज किया, सांप मार पिंजरे में दिया।
ज्यों – ज्यों सांप ताल को खाए, ताल सूख सांप मर जाए।।
उत्तर: दीये की बत्ती
37. एक नार तरवर से उतरी, सर पर वाके पांव।
ऐसी नार कुनार को, मैं ना देखन जाँव।।
उत्तर: मैंना
38. एक नार का दाम है छोटा, लम्बी गर्दन पेट है मोटा।
पहले अपना पेट भरे, फिर सबको शीतल करे।।
उत्तर: सुराही
39. एक नारि के हैं दो बालक, दोनों एकहिं रंग।
एक फिरे एक ठाढ रहे, फिर भी दोनों संग।।
उत्तर: चक्की
40. एक पैर है, बाकी धोती, जाड़े में वह हरदम सोती।
गर्मी में है छाया देती, सावन में वह हरदम रोती।।
उत्तर: छतरी
41. एक राजा की अनोखी रानी।
दुम के रास्ते पीती पानी।।
उत्तर: दीपक
42. एक मुँह और तीन हाथ, कोई रहे न मेरे साथ।
गोल-गोल मैं चलता जाऊँ, सबकी थकान मिटाता जाऊँ।।
उत्तर: पंखा
43. एक बार आता है जीवन में, नहीं दुबारा आता।
जो मुझ को पहचान ना पाता, आजीवन पछताता।।
उत्तर: अवसर
44. एक बादल ऐसा, जब मन आये गरजता।
वैसे तो दुःख और सुख है इसके, मौसम पर बिन मौसम भी बरसता।।
दुःख का यह साथी बनता, सुख में भी जमकर बरसता।
समय की ना परवाह करे, सब के पास हर पल यूँ ही पड़े रहे।।
उत्तर: आँसू
45. एक साथ आए दो भाई, बिन उसके बजे ना शहनाई।
पीट-पीटकर मिलता संगत, उसके बिना महफ़िल में आए ना रंगत।।
उत्तर: तबला
46. एक लाल डिबिया में हैं पीले खाने।
खानों में मोती के दाने।।
उत्तर: अनार
47. एक थाल मोतियों भरा, सबके सिर पर उल्टा धरा।
चारों ओर फिरे वो थाल, मोती उससे एक न गिरे।।
उत्तर: आकाश और तारे
48. एक किले में चोर बसे हैं, सबका मुँह काला।
पूंछ पकड़ कर आग लगाई, झट कर दिया-उजाला।।
उत्तर: माचिस
49. एक गुनी ने ये गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखो जादूगर का कमाल, डारे हरा निकाले लाल।।
उत्तर: पान
50. एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत।
फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना।।
उत्तर: आईना
51. एक अनोखा पक्षी देखा, तालाब किनारे रहता।
चोंच सुनहरी जगमग करती, दुम से पानी पीता।।
उत्तर: दिये की बाती
52. एक अनोखी लकड़ी देखी, जिसमें छिपी मिठाई।
बच्चों जल्दी नाम बताकर, जी भर करो चुसाई।।
उत्तर: गन्ना
53. एक जानवर ऐसा।
जिसकी दुम पर पैसा।।
उत्तर: मोर
54. एक लाठी की अजब कहानी, उसके भीतर मीठा पानी।
उस लाठी में गांठे-दस, जो चाहे वो, पीले रस।।
उत्तर: गन्ना
55. एक परी है पतली दुबली, काला मुकुट पहनती।
मुकुट गंवाकर करे उजाला, खुद अंधकार में रहती।।
उत्तर: माचिस की तीली
56. एक चीज है ऐसी भैया, मुँह खोले बिन खाई जाए,
बिन काटे और बिना चबाए, खानी पड़े रुलाई आए।।
उत्तर: पिटाई
57. एक महल में चालीस चोर।
मुंह काला, पूंछ सफेद।।
उत्तर: माचिस
58. एक गुफा दो रखवाले।
दोनों मोटे-दोनों काले।।
उत्तर: मूँछे
59. एक हूँ, मगर अनेक हूँ मैं।
सौ रोगी को एक हूँ मैं।।
उत्तर: अनार
60. एक माता के दो पुत्र, दोनों महान अलग प्रकृत।
भाई-भाई से अलग, एक ठंडा दूसरा आग।।
उत्तर: चंद्रमा और सूरज
61. एक फूल यहां खिला, एक खिला कोलकाता।
अजब अजूबा हमने देखा, पत्ते के ऊपर पत्ता।।
उत्तर: फूलगोभी
62. एक किले के दो ही द्वार, उनमें सैनिक लकड़ीदार।
टकराए जब दीवारों से, ख़त्म हो जाये उनका संसार।।
उत्तर: माचिस
63. एक फूल है काले रंग का, सिर पर सदा सुहाए।
तेज धूप में वो खिल जाता, छाया में मुरझाए।।
उत्तर: छाता
64. एक वस्तु को मैंने देखा, जिस पर हैं दाँत।
बिना मुख के बोलकर, करे रसीली बात।।
उत्तर: हारमोनियम
65. ऐसा कैसे हो सकता है।
कि जेब में कुछ है लेकिन फिर भी जेब खाली है।।
उत्तर: क्योंकि जेब में छेद है
66. ऐसी कौन सी चीज है, जो बहुत खराब मानी जाती है।
फिर भी लोग उसे, पीने के लिए कहते हैं।।
उत्तर: गुस्सा
70. ऐसी कौन सी चीज है, जो पानी से बनी है।
लेकिन उसे सूरज भी, नहीं सुखा सकता है।।
उत्तर: पसीना
71. ऐसी क्या चीज है जिसे आप दिन भर, उठाते और रखते हैं।
इसके बिना आप कहीं जा नहीं सकते, बतलाओ मेरा नाम।।
उत्तर: कदम
72. ऐसी कौन सी चीज है,
जो हमें अपने जीवन में दो बार तो फ्री में मिलती है।
लेकिन तीसरी बार हमें पैसे देने पड़ते हैं।।
उत्तर: दाँत
73. ऐसा कौन सा फल है,
जो मीठा होने के बावजूद बाज़ार में नहीं बिकता।।
उत्तर: सब्र का फल
74. ऐसी क्या चीज है,
जो बांटने पर बढ़ती जाती है।।
उत्तर: ज्ञान
75. ऐसी क्या चीज है,
जिसके पास चेहरा है, दो हाथ है, मगर टांगे नहीं है।।
उत्तर: घड़ी
76. ऐसी सब्जी का नाम बताओ,
जिसका पहला अक्षर काट दिया जाए तो, बेशकीमती आभूषण बने,
अंतिम अक्षर काट दिया जाए तो, मीठा व्यंजन बने और,
अगर पहला और आखरी अक्षर काट दिया जाए तो एक युवती का नाम बने।।
उत्तर: KHEERA
77. ऐसी क्या चीज है जो सबके पास होती है,
किंतु किसी के पास कम तो किसी के पास ज्यादा।
जिसके पास ज्यादा होता है उसे बुद्धिमान कहते हैं,
बतलाओ मेरा नाम।।
उत्तर: कला
78. ऐसी कौन सी चीज है,
जिसे व्यक्ति अपनी माँ-बहन और अन्य औरतों की टूटते हुए देख सकता है
किंतु अपनी पत्नी की नहीं।।
उत्तर: चूड़ियाँ
79. ऐसा कौन सा फल है,
जिसे खाते भी हैं, और पीते भी हैं, और जलाते भी है।।
उत्तर: नारियल
80. ऐसी क्या चीज है, जिसे बनाने में काफी वक्त लगता है।
लेकिन टूटने में एक क्षण भी नहीं लगता।।
उत्तर: भरोसा
81. ऐसी क्या चीज है, जो आंखों के सामने आने से।
आंखें बंद हो जाती है, बतलाओ मेरा नाम।।
उत्तर: रोशनी
82. ऐसी क्या चीज है, जो पति अपनी पत्नी को दे सकता है।
किंतु पत्नी अपने पति को नहीं दे सकती।।
उत्तर: उपनाम
83. ऐसी क्या चीज है, जो जून में होती है दिसंबर में नहीं।
आग में होती है, लेकिन पानी में नहीं।।
उत्तर: गर्मी
84. ऐसी क्या चीज है, जो जागे रहने पर ऊपर रहती है।
सो जाने पर गिर जाती है, बतलाओ मेरा नाम।।
उत्तर: पलकें
85. ऐसी कौन सी चीज है, जिसे आप खरीदते हो तो रंग काला।
उपयोग करते हो तो लाल, और फेंकते हो तो सफेद होता है।।
उत्तर: कोयला
86. कॉलगेट-सी मौत हूँ मैं, नशेबाज की सौत हूँ मैं।
जो फंस गया मेरे जादू में, आ गया मौत के काबू में।।
उत्तर: स्मैक
87. केरल से आया टिंगू काला।
चार कान और टोपी वाला।।
उत्तर: लौंग
88. कभी रहूं तेरे पीछे, कभी चलू तेरे आगे,
मुझको कभी न पकड़ सके, तू चाहे जितना भागे।
फिर भी हर पल साथ तेरे, फिर भले हाथ में हाथ न हो,
अंधियारे से डरती हूं, बस उजियाले में मन लागे।।
उत्तर: परछाई
89. कोई कहे मुझे आँसू, कोई कहे मुझे मोती।
सरिसर्प मुझे चाट लेटे, मैं जब भी पत्तों पर होती।।
उत्तर: ओस
90. कठोर हूँ पर पहाड़ नहीं, जल है मगर समुद्र नहीं।
जटाएं हैं पर योगी नहीं, मीठा है मगर गुड़ नहीं।।
उत्तर: नारियल
91. कमर बांधे कोने में खड़ी।
हर घर को उसकी जरुरत पड़ी।।
उत्तर: झाड़ू
92. कटोरे पे कटोरा।
बेटा बाप से भी गोरा।।
उत्तर: नारियल
93. क्या है जो, हमेशा बढ़ती रहती है।
और कभी कम नहीं होती।।
उत्तर: उम्र
94. कौन सा जानवर है।
जो जूते पहनकर सोता है।।
उत्तर: घोड़ा
95. काला मुँह लाल शरीर, कागज को वो खा जाता।
रोज शाम को पेट फाड़कर, कोई उन्हें ले जाता।।
उत्तर: लेटर बॉक्स
96. काले नागो से भरी टोकरी, सब के मुँह पर दी चिंगारी।
दबो से घर से निकले, फिर साइड में दे मारो सर उसका।।
उत्तर: माचिस
97. कला घोड़ा सफ़ेद सवारी एक।
उतरा तो अब दूसरे के बारी।।
उत्तर: तवा रोटी
98. कर ले जो मन को काबू, बना दे चाकर या बाबू।
छूने का उसे करे है मन, पिटवा दे जो हुए बेकाबू।।
उत्तर: लड़की
99. काँटो से निकले, फूलो में उलझे।
नाम बतलाओ, समस्या सुलझे।।
उत्तर: तितली
100. कांटेदार खाल के भीतर एक रसगुल्ला।
सभी प्रेम से खाते उसको, क्या पंडित क्या मुल्ला।।
उत्तर: लीची
101. कान ऐंठने पर मैं चलता, सब के घर में रहता।
सर्दी, गर्मी हो या वर्षा, हर दिन ठंडक सहता।।
उत्तर: नलका
102. करती नहीं सफर दो गज, फिर भी दिन भर चलती है।
रसवंती है, नाजुक भी, मगर गुफा में रहती है।।
उत्तर: जबान
103. काली हूँ मैं काली हूँ, काले वन में रहती हूँ।
खाती नहीं हूँ दाना भी, बस लाल पानी पीती हूँ।।
उत्तर: जूँ
104. कान हैं पर बहरी हूँ, मुँह है पर मौन हूँ।
आँखें हैं पर अंधी हूँ, बताओ मैं कौन हूँ।।
उत्तर: गुड़िया
105. काला रंग मेरी है शान, सबको मैं देता हूँ ज्ञान।
शिक्षक करते मुझ पर काम, नाम बताकर बनो महान।।
उत्तर: ब्लैक–बोर्ड
106. कान घुमाए बंद हो जाऊँ, कान घुमाए खुल जाता हूँ।
रखता हूँ मैं घर का ख्याल, आता हूँ मैं सब के काम।।
उत्तर: ताला
107. काली तो है, पर काग़ नहीं, लंबी तो है, पर नाग नहीं।
बल तो खाती, पर डोर नहीं, बांधतेतो है, पर ढोर नहीं।।
उत्तर: चोटी
108. काली-काली माँ, लाल-लाल बच्चे।
जिधर जाये माँ, उधर जाए बच्चे।।
उत्तर: रेलगाड़ी
109. काठ की कठोली, लोहे की मथानी।
दो-दो आदमी मथे, पर मक्खन दही न आनी।।
उत्तर: आरी
110. कठोर भी हूँ और महंगा भी, उलटा कर दो सफर करूं।
करवा दूँ सबमें झगड़ा, मुँह में रख लो प्राण हरूं।।
उत्तर: हीरा
111. खड़ा हुआ था तुम्हारे लिए, जब दिखे तत्पर शरण आने को,
पेट तुम्हारा तृप्त किया, लगे जब भूख मिटाने को।
बिन मेरे बदसूरत संसार, है करोड़ों नस्ल का मेरा परिवार,
इस दुनिया में क्या कहलाऊँ।।
उत्तर: वृक्ष / पेड़
112. खाना कभी नहीं खाता वह, और ना ही पीता पानी।
उसकी बुद्धि के आगे, हार गये बड़े बड़े ज्ञानी।।
उत्तर: कंप्यूटर
113. खडा भी लोटा पड़ा भी लोटा, है बैठा और कहे सब हैं लोटा।
खुसरो कहे समझ का टोटा, पहेली में ही छुपा है उत्तर।।
उत्तर: लोटा
114. खुशबू है पर फूल नहीं, जलता है पर ईर्ष्या नहीं।
बताओ क्या।।
उत्तर: अगरबत्ती
115 . खुली रात में पैदा होती, हरी घास पर रहती हूँ।
मोती जैसी मूरत मेरी, मैं बादल की पोती हूँ।।
उत्तर: ओस की बूंद
116. खिलाड़ियों का महाकुंभ कहलाता।
चार वर्षों के इंतज़ार पर आता।।
उत्तर: ओलंपिक्स गेम्स
117. खेत में उपजे, हर कोई खाय।
घर में जो हो जावे, घर खा जाय।।
उत्तर: फूट
118. खादी को पहना, और अहिंसा को पूजा।
फिर भी लाठी हाथ में रखी, पिता बना दूजा।।
उत्तर: महात्मा गाँधी
119. गोरी सुन्दर पातली, केहर काले रंग।
ग्यारह देवर छोड़ कर, चली जेठ के संग।।
उत्तर: अरहर की दाल
120. गोल है पर गेंद नहीं, पूँछ है पर पशु नहीं।
पूंछ पकड़कर खेलें बच्चे, फिर भी मेरे आंसू न निकलते।।
उत्तर: गुब्बारा
121. गोल गोल आखों वाला, लंबे लंबे कानों वाला।
गाजर खूब खाने वाला, इसका नाम बताओ लाला।।
उत्तर: खरगोश
122. गर्मी में लगती है अच्छी, सर्दी में नहीं भाती।
तन से हूँ टकराती, दो अक्षर की हाथ न आती।।
उत्तर: हवा
123. गोल मटोल और छोटा-मोटा, हर दम वह तो जमीं पर लोटा।
खुसरो कहे नहीं है झूठा, जो न बूझे अकिल का खोटा।।
उत्तर: लोटा
124. गोल-गोल मैं घूम रही, गोल-गोल काटू चक्कर।
सब कहते मुझको माता, फिर भी रखें कदमों पर।।
उत्तर: धरती
125. गोल गोल जिसका चेहरा।
पेट से रिश्ता गहरा उसका।।
उत्तर: रोटी
126. गागर में जैसे सागर, वैसे मैं मटके के अंदर।
जटा जूट और बेढंगा, ऊपर काला अंदर गोरा।
उत्तर: नारियल
127. गोल-गोल हूँ, गेंद नहीं, लाल-लाल हूँ, फूल नहीं।
आता हूँ खाने के काम, मटर है या फिर टमटम नाम।।
उत्तर: टमाटर
128. घर हैं की डिब्बे, लोहे के हैं पाँव।
उस बस्ती का नाम, जल्दी बताओ।।
उत्तर: रेलगाड़ी
129. घेरदार है लहंगा उसका, एक टांग से रहे खड़ी।
सबको उसी की इच्छा होती, हो बरखा या धूप कड़ी।।
उत्तर: छतरी
130. घर हैं चौंसठ, बत्तीस हम, सोलह सोलह काले,
सफेद, आठ-आठ अफसर दोनों।
आठ-आठ सेवक हैं साथ,
श्याम-श्वेत से वर्गों में खूब लड़े और दे दें मात।।
उत्तर: शतरंज के मोहरे
131. घूम घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खड़ी।
आठ हात हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे न्यारी-प्यारी।।
उत्तर: छतरी
132. घर की रखवाली करता हूँ, बिना लिए लाठी-तलवार।
जब तुम जाते चले कहीं, मैं झट बन जाता हूँ पहरेदार।।
उत्तर: ताला
133. डिब्बा देखा एक निराला, ना ढकना न ताला।
न पेंदा नाही कोना, बंद है उसमें चांदी सोना।।
उत्तर: अंडा
134. चार अंगुल का पेड़, सवा मन का पत्ता।
फल लागे अलग अलग, पक जाए इकट्ठा।।
उत्तर: कुम्हार की चाक
135. चढ़े नाक पर, पकड़े कान।
बोलो बच्चों-कौन शैतान।।
उत्तर: चश्मा
136. चढ़ा दूँ मेरे सिर पर, या पैरों पर आओगे।
जरा आराम से पगले, ना संभले तो कमर सहलाओगे।।
उत्तर: सीढ़ी
137. चार पैर हैं दो हाथ हैं, दूंगी सहारा जब तू साथ है।
चाहे दिन है चाहे रात है, मेरी औकात की होती बात है।।
उत्तर: कुर्सी
138. चौकी पर बैठी एक रानी।
सिर पर आग बदन में पानी।।
उत्तर: मोमबत्ती
139. चार अक्षर का मेरा नाम, टिमटिम तारे बनाना काम।
शादी, उत्सव या त्योहार, सब जलाएँ बार-बार।।
उत्तर: फूलझड़ी
140. चार खड़े, दो अड़े, दो पड़े।
एक-एक के मुंह में दो-दो पड़े।।
उत्तर: खाट
141. चाय गरम है, गरम है पानी, दूध गरम, घंटे बीते।
चाहे संकट हो, रात हो चाहे, बड़े मजे से सब पीते।।
उत्तर: थर्मस
142. चार पांव पर चल न पाऊं, बिना हिलाए न हिल पाऊं।
फिर भी सब को दें आराम, बोलो क्या है मेरा नाम।।
उत्तर: चारपाई
143. चार टाँग की हूँ एक नारी, छलनी सम मेरे छेद।
पीड़ित को आराम मैं देती, बतलाओ भैया यह भेद।।
उत्तर: चारपाई
144. लोहे की दो तलवारें।
खूब लड़े पर साथ रहें।।
उत्तर: कैंची
145. चार खंभे चलते जाएं, सबसे आगे अजगर।
पीछे सबके सांप चल रहा, फिर भी तनिक नहीं है डर।।
उत्तर: हाथी
146. चार है रानी, एक है राजा।
हर एक काम में, उनका अपना साझा।।
उत्तर: अंगूठा और ऊँगलियाँ
147. चार कोनों का नगर बना, चार कुँए बिन पानी,
चोर 18 उसमे बैठे लिए एक रानी।
आया एक दरोगा, सब को पीट-पीट कर कुँए में डाला,
बताओ क्या।।
उत्तर: कैरम बोर्ड
148. छोटा सा धागा।
बात ले भागा।।
उत्तर: टेलीफ़ोन
149. छोटी मगर बड़ा बलवान, नेताजी से भी है महान।
पास हो खूब या पास न हो, दोनों बातों में नहीं आराम।।
उत्तर: पैसा/रूपया
150. छीलो तो छिलका नहीं, काटो तो गुठली नहीं।
खाओ तो गूदा नहीं, तो बताओ क्या।।
उत्तर: बर्फ
151. छत से एक अचंभा देखा, लाल तवे को चलते देखा।
दिन भर फेरा करता रहता, पूरब से पश्चिम को जाता।।
उत्तर: सूरज
152. छोटे से है मटरुदास।
वस्त्र पहने सौ पचास।।
उत्तर: प्याज़
153. छुपा हुआ रहता हूँ, खुलने पर सबको चौंकाता हूँ।
वस्तु हूँ मैं ऐसी, जो एक बार आपके पास से जाती फिर आपकी नहीं रहती।।
उत्तर: भेद
154. जमीन में गड़ी रहती हूँ, फिर भी खड़ी रहती हूँ।
सफ़ेद तन, हरी पूँछ ना बूझे तो नानी से पूँछ।।
उत्तर: मूली
155. जल से भरा एक मटका, जो है सबसे ऊँचा लटका।
पी लो पानी है मीठा, ज़रा नहीं है खट्टा।।
उत्तर: नारियल
156. जरूरत पड़ने पर मैं घर घर जाता,
जरूरत ख़त्म तो भूल मैं जाता।
काम से ज्यादा चिल्लाना आता, लेकिन मुझे फिर भी मत भुलाना,
घर आऊं तो माला पहनाना।।
उत्तर: नेता
157. जो करता है वायु शुद्ध, फल देकर जो पेट भरे।
मानव बना है उसका दुश्मन, फिर भी वह उपकार करे।।
उत्तर: पेड़
158. जो जाकर फिर ना वापस आये,
और वो जाता हुआ भी नज़र ना आये।
हर जगह होती उसी की चर्चा,
वह अति बलवान कहलाये, बतलाए क्या।।
उत्तर: समय
159. जिसने घर में खुशी मनाई, मुझे बाँध कर करी पिटाई।
मैं जितनी चीखी-चिल्लाई उतनी ही कस कर मार लगाई।।
उत्तर: ढोलक
160. जादू के डंडे को देखो, न तेल न पानी।
पलक झपकते तुरंत रोशनी, सभी ओर फैलानी।।
उत्तर: ट्यूबलाइट
161. जीभ नहीं है फिर भी बोले, बिना पाँव सारा जग डोले।
राजा-रंक सभी को भाता, जब आता है खुशियां लाता।।
उत्तर: मुद्रा
162. जन्म तो हुआ जंगल में।
नाचे पर गहरे जल में।।
उत्तर: नौका
163. जादू के डंडे को देखो, कुछ पिए न खाए।
नाक दबा दो तुरंत रोशनी, चारों ओर फैलाए।।
उत्तर: टॉर्च
164. जा जोड़े तो जापान, अमीरों के लिए है यह शान।
बनारसी है इसकी पहचान, दावतो में बढ़ती इसकी मान।।
उत्तर: पान
165. जन्म दिया रात ने, सुबह ने किया जवान।
दिन ढलते ही, निकल गई इसकी जान।।
उत्तर: समाचार–पत्र
166. झुकी कमरे का बूढ़ा, जहाँ ठहर जाए।
वहीं पर भाषा रुके, सवाल उभर जाए।।
उत्तर: प्रश्नवाचक चिह्न
167. टोपी है हरी मेरी, लाल है दुशाला।
पेट में अजीब लगी, दानों की माला।।
उत्तर: मिर्च
168. तुम्हारे घर में मेरा बसेरा, दिन रात सुबह सवेरा है मेरा।
करती नया शाम सवेरा, रोज नए मीठे गीत से।।
उत्तर: घड़ी
169. तीन रंगों का सुंदर पक्षी, नील गगन में भरे उड़ान।
सब की आंखों का है तारा, सब करते इसका सम्मान।।
उत्तर: भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
170. तीन पैर की चम्पा रानी, रोज नहाने जाती।
दाल भात का स्वाद न जाने, कच्चा आटा खाती।।
उत्तर: चकला
171. तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर।
आगे तीतर पीछे तीतर, बोलो कितने तीतर।।
उत्तर: तीन
172. तीन मुँह की तितली।
नहा के तेल में निकली।।
उत्तर: समोसा
173. तीन अक्षर का नाम मेरा, हवा में जाऊं करूं सलाम।
मध्य कटे बनू ‘कदम’, प्रथम कटे तो कर दें तंग।।
उत्तर: पतंग
174. तीन अक्षर का नाम मेरा, ग्रीष्म ऋतु में मेरा काम।
प्रथम हटा दो सफर करूं, अंत हटा दो ‘डफ़र’ बनूं।।
उत्तर: सुराही
175. तीन अक्षर का मेरा नाम, उलटा-सीधा एक समान।
आता हूँ खाने के काम, बूझो तो भाई मेरा नाम।।
उत्तर: डालडा
176. तीन अक्षर मेरा नाम, उलटा सीधा एक समान।
सुभाष चन्द्र का मैं हूँ गाँव, जल्दी बताओ मेरा नाम।।
उत्तर: कटक
177. तीन अक्षर का नाम, उलटा सीधा एक समान।
मध्य हटाकर ”जज’ बन जाऊं, फिर भी झट सबको पहुँचाऊँ।।
उत्तर: जहाज़
178. तीन अक्षर का मेरा नाम, खाने के आता हूँ काम।
मध्य कटे हवा हो जाता, अंत कटे तो हल कहलाता।।
उत्तर: हलवा
179. तुम न बुलाओ मैं आ जाऊँगी,
न भाड़ा न किराया दूँगी, घर के हर कमरे में रहूँगी।
पकड़ न मुझको तुम पाओगे, मेरे बिन तुम न रह पाओगे,
बताओ मैं कौन हूँ।।
उत्तर: हवा
180. तेरा नाम जानती हूँ, तेरा पता मैं जानती हूँ।
मुझे देख दुनिया यह कहे, हाँ इसे मैं जानती हूँ।।
उत्तर: पहचान पत्र
181. तीन टांगो पे होके सवार, चलता जा रहा मेरा यार।
सुबह से रुके ना शाम, गर्मी में आऊ मै काम।।
उत्तर: छत का पंखा
182. देखी एक अनोखी वर्षा, हाथी खड़ा नहाये।
बहे न पानी प्यास बुझे ना, धरती भीगी जाये।।
उत्तर: ओस
183. दिन के हर पहर में सोती हूँ, पूरी रात अकेले बैठी रहती हूँ,
दुःख और सुख में अपनी ही सानी चोकी पर बैठी हूँ।
मैं रानी सिर पर अग्रि और तन में लिए पानी,
बूझो बूझो कौन हूँ मैं मस्तानी।।
उत्तर: मोमबत्ती
184. देखो मेरे 12 बॉस हैं, 3 भाई जिसे गिनते दिन रात।
देख इनको चलते जाना, क्योंकि हर बॉस बोले चल भाग।।
उत्तर: घड़ी
185. दुशमन में भी दोस्त दिखा दे, साम दाम दंड सब सीखा दे।
इज्जत बड़ा दे, बम से उड़ा दे, करके घपला चल नाम बता दे।।
उत्तर: राजनीति या सत्ता
186. दो अक्षर का मेरा नाम, आता हूँ खाने के काम।
उलटा लिखकर नाच दिखाऊं, फिर क्यों अपना नाम छिपाऊं।।
उत्तर: चना
187. देश भी हूँ, औजार भी हूँ, खींचो अगर तो हूँ पानी।
ढाई अक्षर का नाम है वो, पूछ रही मेरी नानी।।
उत्तर: बर्मा
188. दो अक्षर की मैं बहना।
उल्टा-सीधा एक रहना।।
उत्तर: दीदी
189. दो अक्षर का मेरा नाम, करती कभी नहीं आराम।
मुझे देख सब मेहनत करते, झट से बोलो मेरा नाम।।
उत्तर: घड़ी
190. देखने में मैं गांठ गंठीला, पर खाने में बड़ा रसीला।
गर्मी दूर भगाता हूँ, ‘पीलिया’ में काम आता हूँ।।
उत्तर: गन्ना
191. दो इंच का मनीराम, दो गज की पूंछ।
जहाँ चले मनीराम वहाँ चले पूंछ।।
उत्तर: सुई धागा
192. दिन को सोए, रात को रोए।
औरों के लिए, जीवन खोए।।
उत्तर: मोमबत्ती
193. दुबली पतली देह पर, पहने काले कपड़े।
धूप से करे दो हाथ, और पानी से झगड़े।।
उत्तर: छतरी
194. दो पैरों का मैं हूँ घोड़ा, चलता हूँ पर थोड़ा-थोड़ा।
जो भी मेरे बीच में आया, झट से काटा, फट से तोड़ा।।
उत्तर: सरौता
195. दुनिया के कोने-कोने का घर बैठे कर लो दर्शन,
दूर-पास की सैर कराता, बिना यान, मोटर या रेल।
मुझको कहते ‘बुहू बक्सा’ ऐसा भी है मेरा खेल,
मनोरंजन, शिक्षा, पिक्चर, गाना, खेल भरे मेरे अंदर।।
उत्तर: दूरदर्शन
196. दो सुंदर लड़के, दोनों एक रंग के।
एक बिछड़ जाए तो, दूसरा काम न आए।।
उत्तर: जूते
197. दिखने में मैं सींकिया पहलवान, लेकिन गुणों में हूँ बलवान।
शीतल, मधुर और तरल रसीला, गांठ दार परिधान।।
उत्तर: गन्ना
198. देकर एक झटका, फांसी पर लटका।
इन्कलाब का शोला, जिंदाबाद बोला।।
उत्तर: भगत सिंह
199. दुम काटो तो काट के रख दें, कटे पेट तो फलों में श्रेष्ठ।
सिर काटो तो हे भगवान, थकान मिटाना मेरा काम।।
उत्तर: आराम
200. दुनियाँ भर की करता सैर, धरती पे ना रखता पैर।
दिन में सोता रात में जागता, रात अंधेरी मेरी बगैर।।
उत्तर: चाँद
201. दिखता नहीं पर पहना है।
यह नारी का गहना है।।
उत्तर: लज्जा
202. दो अक्षर का नाम है, रहता हरदम जुखाम है।
कागज मेरा रुमाल है, बताओ मेरा क्या नाम है।।
उत्तर: पेन
203. दो अंगुल की है सड़क, उस पर रेल चले बेधड़क।
लोगों के हैं काम आती, समय पड़े तो खाक बनाती।।
उत्तर: माचिस
204. धूम घुमेला लहंगा पहिने, एक पांव से रहे खड़ी,
आठ हाथ है उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
सब कोई उसकी चाह करे, वर्षा गर्मी में उसका साथ करे,
खुसरो ने यह कही पहेली, जो सुनने में है अलबेली।।
उत्तर: छतरी
205. धन-दौलत से बड़ी है यह, सब चीजों से ऊपर है यह।
जो पाए पंडित बन जाए, बिन पाए मूर्ख रह जाए।।
उत्तर: विद्या
206. धूप देख मैं आ जाऊँ, छाँव देख शर्मा जाऊँ।
जब हवा करे मुझे स्पर्श, मैं उसमे समा जाऊँ, बताओ क्या।।
उत्तर: पसीना
207. न तो खड़े भूमि में, न ऊपर कोई आधार,
घने झुण्ड में बसे रहे झुण्ड में ही इनका संसार।
इनके कारण हमें मिले कभी शीतल छाया,
तो कभी आफत बन कर खूब कहर ढाया।।
उत्तर: बादल
208. नारी से तू नर भई, और श्याम बरन भई सोय।
गली-गली कूकत फिरे, कोइलो-कोइलो लोय।।
उत्तर: कोयल
209. ना करता लड़ाई।
फिर भी मेरी रोज होती मेरी पिटाई।।
उत्तर: ढोल
210. नींद में मिले जागने पर नहीं, दूध में मिले पानी में नहीं।
दादी में है नानी में नहीं, कूदने में है, भागने पर नहीं।।
उत्तर: अक्षर ‘द’
211. न काशी न काबा धाम, जिसके बिना हो चक्का जाम।
पानी जैसी चीज है वो, झट बतलाओ उसका नाम।।
उत्तर: पेट्रोल
212. ना किसी से प्रेम ना किसी से बैर, फिर भी लोग लेते मेरी रोज खैर।
सबके गानों की रौनक है बढ़ती, फिर भी मुझ पर थप्पड़ पड़ती।।
उत्तर: ढोलक
213. न सीखा संगीत कहीं पर, न सीखा कोई गीत,
लेकिन इसकी मीठी वाणी में भरा हुआ संगीत,
सुबह सुबह ये करे रियाज, मन को भाती इसकी आवाज,
बताओ क्या।।
उत्तर: कोयल
214. नाक को पकड़कर, खींचता है कान।
कोई नहीं इसे कुछ कहता, बताओ उसका नाम।।
उत्तर: चश्मा
215. पानी में पैदा होता हूँ, पानी में ही मर जाता हूँ,
इंसानों के पास, हर पल पाया जाता हूँ।
उजला मेरा रंग, स्वाद बढाता
घुलमिल कर के मैं भोजन के संग।।
उत्तर: नमक
216. पानी पीकर हवा उगलता, गरमी में आता हूँ काम।
सर्दी में मेरा नाम न लेना, अब बतला दो मेरा नाम।।
उत्तर: कूलर
217. पानी का मटका, पेड़ पर लटका।
हवा हो या झटका, उसको नहीं पटका।।
उत्तर: टमाटर
218. पानी से निकला पेड़ एक, पात नहीं पर डाल अनेक।
इस पेड़ की ठंडी छाया, बैठ के नीचे उसको पाया।।
उत्तर: फव्वारा
219. पानी से निकाला दरख्त एक, पात नहीं पर डाल अनेक।
उस दरख्ते की ठंडी छाया, नीचे कोई बैठ न पाया।।
उत्तर: फव्वारा
220. पानी से वो बन जाती, दुनिया को है चमकाती,
जमकर है सेवा करती, क्रोधित हो जीवन हरती।
सभी घरों में रहती है, पर आती जाती रहती है।।
उत्तर: बिजली
221. पीला पीला रंग मेरा, गोल मटोल शरीर।
बड़े-बड़े वीरों के, दाँत करूं खट्टे महावीर।।
उत्तर: नीम्बू
222. पीली हरी हवेली एक, उसमें बैठे कालू राम।
पेट साफ करता हूँ मैं, बोलो बहू मेरा नाम।।
उत्तर: पपीता
223. पेट में उंगली, सर पर पत्थर।
शीघ्र बताओ, इसका उत्तर।।
उत्तर: अंगूठी
224. परत परत पर जमा है ज्ञान खजान।
नहीं लियो तो पड़ा रहेगा योही।।
उत्तर: किताब
225. पैर नहीं हैं, पर चलती रहती।
दोनों हाथों से अपना मुंह पोंछती रहती।।
उत्तर: घड़ी
226. पत्थर पर पत्थर, पत्थर पर पैसा।
बिना पानी के घर बनाए, वह कारीगर कैसा।।
उत्तर: मकड़ी
227. पत्थर की नाव पर, बैठा सवार।
चलती नहीं नाव, किन्तु चलता सवार।।
उत्तर: सिलबट्टा
228. पैर नहीं तो ‘नग’ बन जाए, सिर न हो तो ‘गर’।
यदि कमर कट जाए मेरी, हो जाता हूँ ‘नर’।।
उत्तर: नगर
229. पांच अक्षर का मेरा नाम, उलटा सीधा एक समान।
दक्षिण भारत में रहती हूँ, बोलो तो मैं कैसी हूँ।।
उत्तर: मलयालम
230. पंख नहीं उड़ती हूँ पर।
हाथ नहीं लड़ती हूँ पर।।
उत्तर: पतंग
231. पल भर में दूरी मिट जाए, छूते ही पहिए को।
रहता घर में दफ्तर में भी, सब कह लो, सब सुन लो।
उत्तर: टेलीफ़ोन
232. पक्षी देखा एक अलबेला, पंख बिना उड़ रहा अकेला।
बांध गले में लम्बी डोर, नाप रहा अम्बर का छोर।।
उत्तर: पतंग
233. पीली पोखर, पीले अण्डे।
बेगि बता नहीं, मारूं डण्डे।।
उत्तर: कढ़ी
234. पवित्र प्यार का चिह्न हूँ मैं, गैरों को बना लें अपना।
उल्टा कर दो सब्जी हूँ, खा सकते हो मुझे कच्चा।।
उत्तर: राखी
235. पीपल की ऊँची डाली पर, बैठी वह गाती है।
तुम्हें हमें अपनी बोली में, वह संदेश सुनाती है।।
उत्तर: चिड़िया
236. पूंछ कटे तो सीता, सिर कटे तो मित्र।
मध्य कटे तो खोपड़ी, पहेली बड़ी विचित्र।।
उत्तर: सियार
237. प्रथम काट कर मैं ‘पकली’, छिप छिप जाऊं ऐसी कली।
बल खाती सी इठलाती, रातों में अक्सर निकली।।
उत्तर: छिपकली
238. प्रथम काट कर ‘कड़ी’ हूँ मैं, मध्य काटकर लड़ी’ हूँ मैं।
अन्त काटकर किस्मत हूँ, फिर भी चूल्हे में पड़ी हूँ मैं।।
उत्तर: लकड़ी
239. प्रथम नहीं तो गज बन जाऊं, मध्य नहीं तो काज।
लिखने-पढ़ने वालों से कुछ, छिपा ना मेरा राज।।
उत्तर: कागज़
240. प्रथम कटे, तो मन बनू, अन्त कटे मूल्य।
मध्ये कटे सुकर्म हो, ऐसा जीत लू सबका दिल।।
उत्तर: दामन
241. प्रथम कटे, तो ‘जल’ बनकर, मैं सबको जीवन देता हूँ,
मध्य काट कर ‘काल’ बनू, सबका जीवन हर लेता हूँ।
तीन अक्षर का मैं ऐसा, आंखों को ठंडक देता हूँ।।
उत्तर: काजल
242. प्रथम कटे तो दर हो जाऊं, अंत कटे तो बंद हो जाऊं।
केला मिले तो खाता जाऊं, बताओ मैं हूँ कौन।।
उत्तर: बंदर
243. प्रथम कटे, तो नया बनूं, अन्त काट दो मान करूं।
तीन अक्षर का कौन हूँ मैं, सृष्टि का सम्मान करूं।।
उत्तर: मानव
244. प्रथम काट कर ‘गाली’ है, उसकी माँ भी काली है। (दुर्गा)
फिर भी भारतवासी है, अपना प्यारा साथी है।।
उत्तर: बंगाली
245. फूल भी हूँ, फल भी हूँ, और हूँ मिठाई।
तो बताओ क्या हूँ मैं भाई।।
उत्तर: गुलाबजामुन
246. फ़ारसी बोली आईना, तुर्की सोच न पाईना।
हिन्दी बोलते आरसी, आए मुँह देखे जो उसे बताए।।
उत्तर: दर्पण
247. फल नहीं पर फल कहाऊँ, नमक मिर्ची के संग सुहाउँ।
खाने वाले की सेहत बढ़ाऊँ,सीता मैया की याद दिलाऊँ।।
उत्तर: सीताफल
248. बत्तीस ईटों के दुर्ग के पीछे है, छिपी एक महारानी है।
प्रेम से बोले ह्रदय को जीते, क्रोधित हो तो करती मानहानि है।।
उत्तर: जीभ
249. बत्तीस ईंटों के दुर्ग के भीतर, छिपी एक महारानी।
हंसकर बोले, दिलों को जीते, ऐंठे तो याद आए नानी।।
उत्तर: जीभ
250. बिसो का सर काट दिया, ना मारा ना खून किया।
अगर किसी ने ध्यान दिया तो, पहेली में ही उत्तर पहचान लिया।।
उत्तर: नाखून
251. बीमार नहीं रहती फिर भी मैं मुंह में रखें गोली।
अच्छे-अच्छे डर जाते हैं, सुनकर मेरी बोली।।
उत्तर: बन्दूक
252. बचपन जवानी हरी भरी, बुढ़ापा हुआ लाल।
हरी थी तब फूटी थी जवानी, लेकिन बुढ़ापे में मचाया धमाल।।
उत्तर: मिर्ची
253. बड़ों–बड़ों को राह दिखाऊं, कान पकड़कर उन्हें पढ़ाऊं।
साथ में उनकी नाक दबाऊं, फिर भी मैं अच्छा कहलाऊं।।
उत्तर: चश्मा
254. बाल नुचे कपड़े फटे, मोती लिए उतार।
यह बिपदा कैसी बनी जो, नंगी कर दई नार।।
उत्तर: भुट्टा (छल्ली)
255. बिना पंख उड़ चला, आसमान को फिरता चला उड़त – उड़त थकता नहीं।
अंत में प्राण चले ही जाता, फिर भी जन्म लेने से रुकता नहीं।।
उत्तर: धुँआ
256. बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाव, अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव।।
उत्तर: दिया
257. बिना बताए रात को आते हैं।
बिन चोरी किए गायब हो जाते हैं।।
उत्तर: तारे
258. बोटी-बोटी करूं सरे आम, गली-कूचों में मैं बदनाम।
दो अक्षर का नाम मेरा, रोज पड़े दुनिया को काम।।
उत्तर: चाकू
259. बेशक न हो हाथ में हाथ।
जीता है वो आपके साथ।।
उत्तर: साया
260. बतलाओ ऐसी दो बहनें, संग हंसतीं, संग गाती हैं।
उजले-काले कपड़े पहने, पर मिल कभी न पाती हैं।।
उत्तर: आँखें
261. बांबी वा की जल भरी, ऊपर जारी आग।
जब बजाई बांसुरी, निकसो कारो नाग।।
उत्तर: हुक्का
262. बिना चूल्हे के खीर बनी, ना मीठी ना नमकीन।
थोड़ा-थोड़ा खा गए, बड़े बड़े शौकीन।।
उत्तर: चूना
263. बिना कान के, सुनने वाला।
रंग बिरंगा, है मतवाला।।
उत्तर: सर्प
264. बूझो भैया, एक पहेली।
जब काटो तो, नई नवेली।।
उत्तर: पेंसिल
265. बिन खाए, बिन पिए, सबके घर में रहता हूँ।
ना हँसता हूँ, ना रोता हूँ, घर की रखवाली करता हूँ।।
उत्तर: ताला
266. मेरी शक्ति का लगा नहीं सकते अनुमान,
पत्थर को भी चीर दूँ ऐसी मुझ में जान,
कभी जंगल में कर मंगल कर दूँ,
और कभी कर दूँ मैं शहर वीरान।
पल में मैं दिख जाऊँ और अगले पल छुमंतर हो जाऊँ,
मुझे पहचान सके तो पहचान।।
उत्तर: बिजली
267. माटी रौदूँ चक धरूँ, फेरूँ बारम्बर।
चातुर हो तो जान ले, मेरी जात गँवार।।
उत्तर: कुम्हार
268. मुझे उलट कर देखो, लगता हूँ मैं नौ जवान।
कोई अलग न रहता मुझसे, बच्चा, बूढ़ा और जवान।।
उत्तर: वायु
269. मुझे खाने के लिए खरीदा जाता है।
पर लोग मुझे नहीं खाते।।
उत्तर: प्लेट, चम्मच
270. मुझे सुनाती सब की नानी, प्रथम काटे तो होती हानि।
बच्चे भूलते खाना पानी, एक था राजा एक थी रानी।।
उत्तर: कहानी
271. मैं हिंदी का ऐसा शब्द हूँ, जिसे तुम गलत पढ़ोगे तो सही होगा।
और सही पढ़ोगे तो गलत होगा, बताओ मैं क्या हूँ।।
उत्तर: शब्द – ‘गलत’
272. मेरी पूंछ पर हरियाली, तन है मगर सफेद।
खाने के हूँ काम आती, सोचो और बताओ।।
उत्तर: मूली
273. मुर्गी अंडा देती है, और गाय दूध देती है।
पर ऐसा कौन है जो, अंडा और दूध दोनों ही देता है।।
उत्तर: दुकानदार
274. मैं मरुँ, मैं कटूं, तुम क्यों रोये।।
उत्तर: प्याज
275. मुंह पर रखे अपना हाथ, बोला करती है दिन रात।
जब हो जाती बन्द जबान, लोग ऐंठते उसके कान।।
उत्तर: घड़ी
276. मैं हूँ हरी, मेरे बच्चे काले।
मुझे छोड़, बच्चों को खा ले।।
उत्तर: इलायची
277. मांस नहीं, हड्डी नहीं, सिर्फ उंगलियां मेरी।
नाम बता भई कौन हूँ मैं, जानूँ अक्ल मैं तेरी।।
उत्तर: दस्ताने
278. मोटी घनी पूंछ, पीठ पर काली-काली रेखा हैं।
दोनों हाथों में उसको, मैंने फल खाते देखा है।।
उत्तर: गिलहरी
279. मैं लम्बा-पतला विद्वान, पहनें लकड़ी का परिधान।
बच्चों को लिखना सिखलाऊं, बोलो तो मैं क्या कहलाऊं।।
उत्तर: पेन्सिल
280. मैं हूँ एक अनोखी चीज, मुझको नहीं किसी से खीज।
पर जो कोई मुझे छुए, चारों खाने चित्त गिरे।।
उत्तर: बिजली
281. मुद्रा से भी महंगा, दुनिया में अकेला अनमोल ही रहता।
टूट जाऊँ तो आवाज ना करता, आँख से दिखाई ना पड़ता।।
उत्तर: वचन
282. मेरे बिना जीवन असंभव, प्राण वायु है दूसरा नाम।
अम्ल उत्पन्न मैं करने वाला, कोई बताए मेरा नाम।।
उत्तर: ऑक्सीजन
283. मध्य हटाकर पूंछ हो गई, प्रथम काटकर ‘पावर’।
चार पैर की मैं अलबेली, घर-बार हो या दफ्तर।।
उत्तर: टेबल
284. मध्य काट कर मली गई, प्रथम काट कर छली गई।
पानी में रहकर सुख भोगा, बाहर आकर तली गई।।
उत्तर: मछली
285. मुझसे पहले जो ‘सम’ लग जाए, नजरों में चढ़ जाता हूँ।
‘अभि’ लगा दो पहले तो, मैं सत्यानाश कराता हूँ।।
दो अक्षर का, सब में हूँ, बोलो मैं क्या कहलाता हूँ?
उत्तर: मान
286. मध्य कटे, तो अड़ी पड़ी, प्रथम काट दो तो नाड़ी।
अन्त कटे, तो ‘अना’ हुआ, न जानूं मैं होशियारी।।
उत्तर: अनाड़ी
287. मध्य कटे तो बनता कम, अंत कटे तो कल।
लेखन में मैं आती काम, सोचो तो क्या मेरा नाम।।
उत्तर: कलम
288. यादों को छिपा के रखती, वो लम्हा समा के रखती।
आज देख उसका चेहरा, तु आज से तुलना करती।।
उत्तर: तस्वीर
289. रूप है काला रक्त बैगनी, ऐसी मेरी काया है,
मेरा रूप लोगो को भाये, ऐसा भाग्य पाया है।
वर्षा ऋतु में आऊँ, सब के मुँह का स्वाद बढ़ाऊं।।
उत्तर: जामुन
290. राजा, मंत्री, घोड़े, सिपाही, आपस में सब करे लड़ाई।
बिना शस्त्र के है सब लड़ते, सोच सोच के है सब चलते।।
उत्तर: शतरंज का खेल
291. रंग है मेरा काला, उजाले में दिखाई देती हूँ।
अँधेरे में छिप जाती हूँ, बोलो तो मैं क्या कहलाऊं।।
उत्तर: परछांई
292. रोज सुबह को आता हूँ, रोज शाम को जाता हूँ।
मेरे आने से होता उजियारा, जाने से होता अँधियारा।।
उत्तर: सूरज
293. रक्त से सना हूँ, दो अक्षर का नाम है।
बहादुर के पहले, जवाहर के बाद, यह मेरी पहचान है।।
उत्तर: लाल
294. रात दिन है मेरा, तुम्हारे घर में डेरा।
रोज मीठे गीत से, करती नया सवेरा।।
उत्तर: गौरेया
295. रंग बिरंगा बदन है इसका, कुदरत का वरदान मिला,
इतनी सुंदरता पाकर भी, दो अक्षर का नाम मिला।
ये वन में करता शोर, इसके चर्चे हैं हर ओर, बताओ कौन।।
उत्तर: मोर
296. लटकाये लटकाये मुझे घूमो, मैं खोल के रख दूंगी।
मुझे खो कर मेरे पति को मारा, तो मिलकर में बेकार बनूँगी।।
उत्तर: चाबी
297. लंबा तन और बदन है गोल, मीठे रहते मेरे बोल।
तन पे मेरे होते छेद, भाषा का मैं न करूँ भेद।।
उत्तर: बांसुरी
298. लाल हूँ, खाती हूँ मैं सूखी घास।
पानी पीकर मर जाऊँ, जल जाए जो आए मेरे पास।।
उत्तर: आग
299. लोहा खींचू ऐसी ताकत है, पर रबड़ मुझे हराता है।
खोई सूई मैं पा लेता हूँ, मेरा खेल निराला है।।
उत्तर: चुंबक
300. लकड़ी का एक किला है भैया, चार कुएं हैं-बिन पानी,
उसमें बैठे चोर अट्ठारह, संग लिए-एक रानी।
एक दरोगा-भारी भरकम, सब चोरों को मारे,
रानी को भी कुएं में डाल, खूब करे मनमानी।।
उत्तर: कैरम बोर्ड
301. वैसे तो चुप चुप सी रहती है, किन्तु संसार में जम के शोर मचाती है,
बिना श्वास के जीवन इसका, किन्तु संसार को यह नचाती है।
इसके पास नहीं है मुख, किन्तु चलती इसकी बोली है,
निकट रहे तो सुख देती है, निकट ना हो तो दुःख की गोली है।।
उत्तर: मुद्रा
302. वह क्या है, जो जितना सोंखता है।
उतना ही गीला होता जाता है।।
उत्तर: तौलिया
303. वह क्या है, जिसके चार पाँव हैं।
पर वह चल नहीं सकती।।
उत्तर: मेज
304. वाणी में गुण बहुत हैं, पर मुझसे अच्छा कौन।
सारे झगड़ों को टालू, बतलाओ मैं कौन।।
उत्तर: मौन
305. वह क्या है, जो तुम्हारा है।
पर उसे तुमसे ज्यादा, दूसरे लोग इस्तेमाल करते हैं।।
उत्तर: तुम्हारा नाम
306. वहाँ भी हूँ, यहाँ भी मैं, इधर भी हूँ, उधर भी हूँ,
नजर मैं आ नहीं सकती, किसी को भी जिधर भी हूँ।
कर कोशिश अगर जबरन तो, आंखें बन्द हो जाएं,
अगर मैं मिल न पाऊं तो, सभी बेमौत मर जाएं।।
उत्तर: हवा
307. वो सबके आगे-आगे, सब उसके पीछे भागे।
गोल-गोल, प्यारा-प्यारा, रुके नहीं सरपट भागे।।
उत्तर: रुपया
308. वैसे मैं हूँ बेचारा, पर उलटा कर दो तो पालें।
दीन दुखी हूँ, दो अक्षर का, बतला दो तो जानूं।।
उत्तर: दीन
309. वह क्या है, जिसकी गर्दन है पर सिर नहीं।।
उत्तर: बोतल
310. वह क्या है, जो हमारी मुट्ठी में हैं।
लेकिन हाथ में नहीं है।।
उत्तर: हथेली की लकीरें
311. वह कौन सा मुख है जो, सुबह से लेकर शाम तक।
आसमान की ओर देखता रहता है।।
उत्तर: सूरजमुखी
312. शक्ति का भंडार हूँ मैं है, मुझ में स्वाद भी और स्वास्थ भी।
एक अर्थ में सब्जी हूँ मैं, एक अर्थ में पालने वाला।।
उत्तर: पालक
313. श्याम बरन और दाँत अनेक, लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे, और कहे तू आ री।।
उत्तर: आरी
314. शर्ट, कोट, कुर्ता, कमीज, सब मुझसे शोभा पाते।
ना हूँ मैं तो तन पर कपड़े, धारण न कर पाते।।
उत्तर: बटन
315. सीधा करो तो पता चले, उलटा करके ताप चढ़े।
किसी को ढूंढों, चिट्ठी लिखो, मेरी जरूरत आन पड़े।।
उत्तर: पता
316. सर है, दुम है, मगर पाँव नहीं उसके।
पेट है, आँख है, मगर कान नहीं उसका।।
उत्तर: साँप
317. सिर पर ताज, गले में थैला।
नाम मेरा बड़ा अलबेला।।
उत्तर: मुर्गा
318. सारी दुनिया को जोड़ मैंने, रख लिया है जी संभाल,
कुछ मेरा मिसयूज कर, मचा भी रहे बवाल।
पर मैं हूँ ऐसा जाल, जिसमें उलझ तुम बने खुशहाल।।
उत्तर: इंटरनेट
319. सबसे महंगा पशु हूँ।
बतलाओ मेरा नाम।।
उत्तर: रेस का घोड़ा
320. सुबह सुबह ही आता हूँ, दुनिया की ख़बरें लाता हूँ।
सबको रहता मेरा इंतजार, हर कोई करता मुझसे प्यार।।
उत्तर: अख़बार
321. सुबह आता शाम को जाता, दिनभर अपनी चमक बरसाता।
समस्त सृष्टि को देता वैभव, इसके बिना नहीं जीवन संभव।।
उत्तर: सूरज
322. सब दोहराता, प्यार सभी का पाता हूँ।
हरे बदन पर लाल चोंच है, सबका मन हर्षाता हूँ।।
उत्तर: तोता
323. सूट हरा है, टाई लाल।
बोलू-सबसे, करूं निहाल।।
उत्तर: तोता
324. सात रंग की एक चटाई।
बारिश में देती दिखलाई।।
उत्तर: इंद्रधनुष
325. साल के किस महीने में, 28 दिन होते हैं ?
उत्तर: साल के सभी महीनों में 28 दिन होते हैं ।
326. सबके ही घर ये जाये, तीन अक्षर का नाम बताए।
शुरु के दो अति हो जाये, अंतिम दो से तिथि बन जाये।।
उत्तर: अतिथि
327. सींग हैं पर बकरी नहीं, काठी है पर घोड़ी नहीं।
ब्रेक हैं पर कार नहीं, घंटी है पर किवाड़ नहीं।।
उत्तर: साइकिल
328. सुंदर-सुंदर ख़्वाब दिखाती, पास सभी के रात में आती।
थके मान्दे को दे आराम, जल्द बताओ उसका नाम।।
उत्तर: नींद
329. साथ भी हूँ और निकट भी हूँ,
दृष्टि में नहीं आती हूँ।
चलते चलते शब्द सुनाऊ, साथ रहूँ और कही ना जाऊ,
चली चली कहलाती हूँ।।
उत्तर: वायु / हवा
330. सफेद तन हरी पूंछ।
न बुझे तो नानी से पूछ।।
उत्तर: मूली
331. हाल चाल यदि पूछो उससे, नहीं करेगा बात।
सीधा साधा लगता है पर, पेट में रखता दांत।।
उत्तर: अनार
332. हम माँ बेटी, तुम माँ बेटी, एक बाग में जाएं।
तीन नींबू तोड़ कर, साबुत-साबुत खाएं।।
उत्तर: नानी, माँ और बेटी
333. हमने देखा ऐसा बंदर।
उछले जो पानी के अंदर।।
उत्तर: मेढंक
334. हमने देखा अजीब नजर,
सूरज के सामने रहता खड़ा।
कड़ी धुप मे जरा नहीं घबराता,
न देखे धूप तो लटक जाता मुँह उसका।।
उत्तर: सूरजमुखी
335. हिमालया से खिली कली, हिम हिम में पली बढ़ी।
गर्मी में मेरी ठंडक की आदत, तुम्हारी जुबां पर क्यों पड़ी।।
उत्तर: आइसक्रीम
336. हर आटा, लाल पराठा।
सब मिलकर, सखियों ने बांटा।।
उत्तर: मेहँदी
337. हर घर से मैं नजर हूँ आता, सब बच्चों को खूब हूँ भाता।
दूर का हूँ लगता मामा, रूप बदलता पर मन भाता।।
उत्तर: चन्द्रमा
338. हरे हरे से है दिखे, पक्के हो या कच्चे।
भीतर से यह लाल मलाई, जैसे ठंडे मीठे लच्छे।।
उत्तर: तरबूज
339. हरी हरी मछली, उसका हरा हरा अंडा।
बताओ नहीं तो मारु डंडा।।
उत्तर: मटर
340. हरी डंडी लाल कमान।
तौबा-तौबा करे इंसान।।
उत्तर: मिर्ची
341. हरी-हरी कोठी भारी, उजली-उजली धरती।
लाल-लाल बिस्तर पर, काली मछली सोती।।
उत्तर: तरबूज
342. हरी थी, मन भरी थी, लाख मोती जड़े थी।
राजाजी के बाग में, दुशाला ओढ़े खड़ी थी।।
उत्तर: भुट्टा
343. हरा किला है, लाल महल, श्वेत-श्याम सब वासी हैं।
भीतर जल-थल में रहते, बाहर से मजबूती है।।
उत्तर: तरबूज
344. हरा चोर लाल मकान, उसमे बैठा काला शैतान।
गर्मी में वह है दिखता, सर्दी में गायब हो जाता।।
उत्तर: तरबूज
345. हरा हूँ, पर पत्ता नहीं।
नकलची हूँ, पर बन्दर नहीं।।
उत्तर: तोता
346. हाथ आए तो, सौ-सौ काटे।
जब थके तो, पत्थर चाटे।।
उत्तर: चाकू
347. हाड़ की देही उज् रंग, लिपटा रहे नारी के संग।
चोरी की ना खून किया, वाका सर क्यों काट लिया।।
उत्तर: नाखून
348. हाथी, घोड़ा, ऊंट नहीं, खाए न चारा घास,
सदा हवा पर ही रहे, पर कर दे मंजिल पास।
दुबली-पतली, ढांचे सी, फिर भी लौह शरीर,
जल्दी बताओ कौन है वो, जो बुद्धि हो पास।।
उत्तर: साइकिल
Very Good sir bahut achchha laga bahut hi rochak aur gyanvardhak paheliyan aap ne likha hai
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