Pratyay in Sanskrit

संस्कृत में स्त्री प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Stree Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

पुल्लिंग शब्दों में जिन प्रत्ययों को लगाकर स्त्रीलिंग या स्त्रीवाचक शब्द बनाए जाते हैं, उन्हें स्त्री प्रत्यय कहते हैं। जैसे- अज + टाप् = अजा। स्त्री प्रत्यय के भेद। 1. टाप् (आ) प्रत्यय, 2. डाप् (आ) प्रत्यय, 3. चाप् (आ) प्रत्यय, 4. ङीप् (ई) प्रत्यय, 5. ङीष् (ई) प्रत्यय, 6. ङीन् (ई) प्रत्यय ..

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संस्कृत में तद्धित प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Taddhit Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

संज्ञा, विशेषण तथा कृदन्त आदि शब्दों के साथ जुड़कर अर्थ परिवर्तन करने वाले प्रत्ययों को तद्धित प्रत्यय कहते हैं। जैसे- श्री + मतुप् = श्रीमत् (श्रीमान्)। तद्धित प्रत्ययांत शब्दों में कारक विभक्तियाँ लगती हैं। तद्धित प्रत्यय का प्रयोग धातुओं के साथ नहीं किया जाता है।…

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संस्कृत में कृत् (कृदन्त) प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Krit Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

जिन प्रत्ययों को धातुओं में जोड़कर संज्ञा, विशेषण या अव्यय आदि पद बनाए जाते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहते हैं। ये प्रत्यय तिङ् प्रत्ययों से भिन्न होते हैं। जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। अव्यय बनाने के लिये धातुओं में क्त्वा, ल्यप्, तुमुन् प्रत्ययों का योग किया जाता है।…

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संस्कृत में प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

किसी भी धातु या शब्द के पश्चात् जुड़ने वाले शब्दांशों को प्रत्यय कहा जाता है। जैसे- पठ् + क्त्वा = पठित्वा, यहाँ पठ् धातु में क्त्वा प्रत्यय लगकर पठित्वा शब्द बना है, जिसका अर्थ होता है ‘पढ़कर’…

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