गणेश जी की कहानी सात भाइयों वाली

गणेश जी की कहानी सात भाइयों वाली

कथासात भाइयों के एक बहन थी। वो सब कुछ सुनती पर जैसे ही विनायक जी (गणेश जी) का नाम आता तो घाघरा झटका कर चली जाती। एक दिन विनायक जी को गुस्सा आया। गणेश जी बहन को भयभीत करने लगे तो वह दिन-दिन सूखने लगी।

सब भाइयों ने उसका दुःख पता करने की कोशिश की परन्तु असफल रहें। सातवां भाई बहुत चतुर और होशियार था। उसने आधी रात को भेष बदलकर गणेश जी को पकड़ लिया और पूछा कि तुम कौन हो ? तुम मेरी बहन के साथ छल क्यों करते हो ?

वे बोले, “मैं गणेश जी हूँ।” तेरी बहन सारी बातें सुनती है, पर मेरा नाम आते ही दूर चली जाती है। इसलिए मैं उसे डराता हूँ। भाई ने पूछा कि आप इसका उपाय बताओ तो गणेश जी बोले कि “कोई भी कहानी कहो तो गणेश जी की कहानी कहे बगैर नहीं उठना चाहिए।”

बहन ने उस दिन से नियम रखा कि वह रोज़ गणेश जी कहानी सुनेगी और कहानी सुनने के बाद ही कुछ खायेगी। अब बहन रोज़ कहानी सुनने के बाद ही कुछ खाती। इस तरह से गणेश जी बहन पर प्रसन्न रहने लगे। उसी सभी कामनाएं पूरी करने लगे तथा उसे अच्छा वर दिया।

हे विनायक जी महाराज ! जैसे आपने बहन पर कृपा करी वैसे ही सब पर करना।


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