पौष रविवार व्रत कथा | Poush Ravivar Vrat Katha
व्रत विधि –
पौष रविवार के व्रत में अलूना भोजन करें, सूरज भगवान की पूजा करें। इस दिन छाछ नहीं बनानी चाहिए। सिर नहीं धोना चाहिए। तेल नहीं खाना चाहिए। सूरज भगवान की पूजा करके पौष रविवार व्रत कथा कहनी चाहिए, फिर भोजन करना चाहिए।
कथा –
एक साहूकार था| उसके कोई बच्चा नहीं था। एक दिन वह सुबह के समय घर के बाहर गया, तो उसने देखा कि एक किसान खेत में दाना डालने जा रहा था। साहूकार को देखते ही वो वापस लौट गया और बोला कि आज तो शगुन अच्छा नहीं हुआ। जब साहूकार ने यह सुना तो उसका मुँह उतर गया। घर आने पर उसकी पत्नी ने पूछा कि आज क्या बात है ?
साहूकार ने सारी बात बताई, तो पत्नी बोली, आज चिड़िया आई तो वे भी बोली, “बच्चें नहीं हैं तो दाना कहाँ से मिलेगा”, कहकर उड़ गई। साहूकार को क्रोध आया। उसी दिन से वह सूरज भगवान की आराधना करने लगा। बारह वर्ष बीत गए। तब सूरज भगवान ने सोचा कि यदि भक्त की पुकार नहीं सुनी तो भगवान को कोई नहीं मानेगा। सूरज भगवान को दया आई, प्रकट होकर बोले, “साहूकार, तेरे नसीब में बच्चा नहीं है पर मेरे आशीर्वाद से तेरे घर एक कन्या जन्म लेगी”।
नवें महीने उनके घर में एक कन्या ने जन्म लिया। जब नायन नहलाने आती तो कन्या हँसती-मुस्कराती। कन्या के मुस्कराने से हीरें-मोती गिरते। उन हीरें-मोती को नायन लेकर चली जाती। सवा महीना बीत गया, तब साहूकार की पत्नी नायन से बोली अब इसे मैं नहला दूँगी। जब वह उसे नहलाने लगी तो बच्ची के हँसने पर हीरें-मोती गिरे। अब वो समझ गई कि नायन ने तो खूब हीरें-मोती इकठ्ठे कर लिए हैं।
जब लड़की बड़ी हुई तो माँ-बाप ने सोचा कि घर में धन तो बहुत है। घर जवांई रख लेते हैं। उन्होंने एक गरीब लड़का ढूँढा और उसके साथ अपनी लड़की का विवाह करा दिया। माँ दिन उगते ही बेटी को उठाने जाती और उसका मुँह देखती। तब लड़की का पति बोला, अपने बीच सुबह-सुबह माँ का क्या काम ? तो लड़की बोली, माँ का नियम है कि वह सुबह होते ही मेरा मुँह देखती है।
दूसरे दिन वो सुबह उठा और उसका मुँह देखा तो उसके मुँह से हीरें-मोती बिखरे। अब वो समझ गया कि इसलिए ही सासू माँ इसका मुँह पहले ही देख लेती है। थोड़ी देर बाद लड़की की माँ आई तो हीरें-मोती नहीं मिले। माँ समझ गई कि जवांई को पता चल गया है। माँ के मन में कपट आया। उसने एक आदमी को जवांई को जान से ख़त्म करने के लिए भेज दिया। आदमी ने जवांई को मार दिया और उसका सिर सासू को लाकर दे दिया।
सूरज भगवान ने देखा कि हमारी दी हुई कन्या का पति मार दिया गया है। सूरज भगवान मनुष्य रूप में भिक्षा मांगने आये और उस कन्या के पति का सिर साथ ले आये। उन्होंने उसके अंग जोड़कर अमृत का छींटा दिया। तब उसका पति उठकर बैठ गया।
घर गया तो बेटी ने पूछा, पौष रविवार व्रत का मेरा नियम है कि दिन अस्त हुए के बाद खाना नहीं खाना, तो फिर आप इतनी देर से क्यों आये ? वो बोला कि मुझे मारने के लिए तेरी माँ ने आदमी भेजा था और सारी कहानी बता दी। तब बेटी बोली कि अब हम यहाँ नहीं रहेंगे।
जो माँ मेरा सुहाग छीन ले वो किस काम की ? बेटी अपने पति के साथ अलग घर में रहने लगी। उसके घर में सुख-समृद्धि हो गई और उसकी माँ के घर में धीरे-धीरे दरिद्रता आ गई। जैसे सूरज भगवान बेटी पर प्रसन्न हुए वैसे ही सब पर प्रसन्न रहना।