Karak in Sanskrit

अधिकरण कारक (सप्तमी विभक्ति) संस्कृत में | Adhikaran Karak in Sanskrit

शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति का प्रयोग होता है। इसका विभक्ति-चिह्न ‘में, पर’ है। उदाहरण – छात्रा: विद्यालये पठन्ति। छात्र विद्यालय में पढ़ते हैं। इस वाक्य में ‘विद्यालय में’…

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सम्बन्ध (षष्ठी विभक्ति) संस्कृत में | Sambandh in Sanskrit

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप की वजह से एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध का पता चले, उसे संबंध कहते हैं। इसका विभक्ति-चिह्न ‘का, की, के, रा, री, रे’ है। इसकी विभक्तियाँ संज्ञा, लिंग और वचन के अनुसार बदल जाती हैं। उदाहरण – इदं रामस्य पुस्तकम् अस्ति।…

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अपादान कारक (पंचमी विभक्ति) संस्कृत में | Apadan Karak in Sanskrit

जिस वस्तु से किसी का पृथक् होना पाया जाता है, अर्थात् जिससे वस्तु अलग होती है, उसे अपादान कारक कहते हैं। अथवा संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए, वह अपादान कारक कहलाता है। अपादान कारक में पञ्चमी विभक्ति…

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सम्प्रदान कारक (चतुर्थी विभक्ति) संस्कृत में | Sampradan Karak in Sanskrit

कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है अथवा जिसे कुछ देता है, तो लेने वाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है और सम्प्रदान कारक में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। इसका विभक्ति चिह्न ‘के लिए या को’ है। उदाहरण – अध्यापकः छात्राय पुस्तकं ददाति।…

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करण कारक (तृतीया विभक्ति) संस्कृत में | Karan Karak in Sanskrit

जिसकी सहायता से कोई कार्य किया जाए, उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक का विभक्ति-चिह्न ‘से, के द्वारा’ है। जैसे- बालकाः कन्दुकेन क्रीडन्ति। बालक गेंद से खेल रहे हैं। इस वाक्य में कर्ता बालक गेंद की सहायता से खेल रहे हैं। इसलिए गेंद में…

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कर्म कारक (द्वितीया विभक्ति) संस्कृत में | Karm Karak in Sanskrit

कर्त्ता अपनी  क्रिया के द्वारा जिसको विशेष रूप से प्राप्त करना चाहता है, उसकी कर्म संज्ञा होती है और कर्म में द्वितीया विभक्ति आती है। उदाहरण – सः हरिं भजति। वह हरि को भजता है। इस वाक्य में कर्ता वह का ईप्सिततम हरि है अर्थात् वह हरि को…

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कर्त्ता कारक (प्रथमा विभक्ति) संस्कृत में | Karta Karak in Sanskrit

जो क्रिया के करने में स्वतन्त्र होता है तथा कर्ता के जिस रूप से क्रिया को करने वाले का बोध होता है, वह कर्ता कहलाता है और कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे- रामः पठति। राम पढ़ता है। यहाँ राम कर्ता है और उसमें प्रथमा विभक्ति लगी है।…

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कारक प्रकरण – कारक के भेद, विभक्ति और चिह्न | Karak in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

‘क्रियान्वयित्वं कारकत्वम्, क्रियाजनकत्वं वा कारकत्वम्’ अर्थात् क्रिया मे जिसका अन्वय हो या जो क्रिया का जनक हो, वह कारक कहलाता है। जैसे – रामः गृहं गच्छति। राम घर जाता है। यहाँ राम और घर का ‘जाना’ क्रिया से सीधा सम्बन्ध है, अतः राम और घर दोनों ही कारक है।…

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