शिक्षा के महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Education in Hindi | शिक्षा पर निबंध
शिक्षा के महत्व पर निबंध | Essay on Importance of Education in Hindi | शिक्षा पर निबंध
लघु निबंध –
शिक्षा को प्राप्त करने का पहला स्थान घर है और सभी के जीवन में माता-पिता ही उनके पहले शिक्षक होते हैं। हमारे माता-पिता हमें जीवन में शिक्षा का महत्व बताते हैं। हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। प्राचीन काल में शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था। पत्तों के विकास के बाद, ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग लेखन कार्य में किया जाता था। इससे लिखित साहित्य के प्रसार में मदद मिली। फिर बाद में शिक्षा के लिए गुरुकुल की स्थापना हुई।
शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने और अपने परिवार के सपने पूरे कर सकते हैं। शिक्षा से ही रोजगार के अवसर मिलते हैं। शिक्षा के माध्यम से ही लोगों को समाज और परिवार में आदर और एक अलग पहचान मिलती है।
पहले के समय में शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं। जैसे- अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है।
साक्षरता मानव जीवन की प्रगति और विकास का मूल मंत्र है। पहले हमारे देश की जनसंख्या में अनपढ़ लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। किन्तु आज सरकार के अथक प्रयासों से समाज में हर व्यक्ति को शिक्षित किया जा रहा है।
आज के युग में शिक्षा एक वरदान है, तो निरक्षरता एक अभिशाप है। सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि योग्य विद्यार्थी ही शिक्षक बने क्योंकि वो ही उत्तम शिक्षा दे पाएंगे। यदि शिक्षक ही उत्तम नहीं होगा तो विद्यार्थी कैसे उत्तम बनेगा क्योंकि शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों का सर्वंगीण विकास होता है। इस प्रणाली को पूरी तरह से सफल बनाने का भार हमारे शिक्षकों पर ही है।
विस्तृत निबंध –
प्रस्तावना –
शिक्षा को प्राप्त करने का पहला स्थान घर है और सभी के जीवन में माता-पिता ही उनके पहले शिक्षक होते हैं। हमारे माता-पिता हमें जीवन में शिक्षा का महत्व बताते हैं। हमारा देश प्राचीनकाल से ही शिक्षा का केंद्र रहा है। प्राचीन काल में शिक्षा को संतों और विद्वानों द्वारा मौखिक रूप से दिया जाता था और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी को प्रेषित किया जाता था। पत्तों के विकास के बाद, ताड़ के पत्तों और पेड़ों की छाल का उपयोग लेखन कार्य में किया जाता था। इससे लिखित साहित्य के प्रसार में मदद मिली। फिर बाद में शिक्षा के लिए गुरुकुल की स्थापना हुई।
शिक्षा के माध्यम से ही हम अपने और अपने परिवार के सपने पूरे कर सकते हैं। आज शिक्षा के बिना जीवन व्यर्थ है। शिक्षा से ही रोजगार के अवसर मिलते हैं। आज वही देश सबसे ताकतवरों की श्रेणी में आता है, जिसके पास ज्ञान की शक्ति है। इसलिए हम सबको शिक्षा का महत्व समझना अत्यंत आवश्यक है।
शिक्षा का महत्व –
हम सभी के लिए शिक्षा उज्ज्वल भविष्य का एक अतिआवश्यक साधन है और यह समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम शिक्षा के द्वारा कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं। शिक्षा किसी भी पारिवारिक, सामाजिक और यहाँ तक कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं को भी हल करने की क्षमता प्रदान करती है। शिक्षा के माध्यम से ही लोगों को समाज और परिवार में आदर और एक अलग पहचान मिलती है। शिक्षा प्राप्त करने का समय सभी के लिए सामाजिक और व्यक्तिगत रुप से बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। शिक्षा मस्तिष्क को सकारात्मक मोड़ देती है और मन से सभी नकारात्मक विचारधाराओं को हटाने का प्रयत्न करती है।
शिक्षा वो उपकरण है, जो जीवन, समाज और राष्ट्र में सभी असंभव स्थितियों को संभव बनाती है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अनुसार, शिक्षा व्यक्ति की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से नहीं होती है, बल्कि यह उस समाज की जरूरतों से उत्पन्न होती है, जिसमें व्यक्ति रहता है। शिक्षा प्रणाली का प्रमुख कार्य अपनी सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना है। इसका स्वरुप पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदलते रहता है।
पहले के समय में शिक्षा प्रणाली बहुत ही महंगी और कठिन थी, गरीब लोग उच्च शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम नहीं थे। समाज में लोगों के बीच गरीब-अमीर का बहुत अन्तर था। उच्च जाति के लोग, अच्छी शिक्षा प्राप्त करते थे और निम्न जाति के लोगों को स्कूल या कालेज में शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। यद्यपि, अब शिक्षा की पूरी प्रक्रिया में बड़े स्तर पर परिवर्तन किए गए हैं। इस समय शिक्षा का आधुनिकीकरण एक महत्वपूर्ण अस्त्र हो गया है। शिक्षा के आधुनिकीकरण के साथ, अब हर किसी के पास अपनी जाति, धर्म, संस्कृति और आर्थिक पृष्ठभूमि के बावजूद शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा है।
भारत सरकार के द्वारा सभी के लिए शिक्षा प्रणाली को सुगम और कम महंगी करने के लिए बहुत से नियम और कानून लागू किये गये हैं। जैसे- अब किसी भी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का प्रावधान है। शिक्षा का अधिकार कानून में विद्यार्थी-शिक्षक-अनुपात, कक्षाओं, लड़कियों और लड़कों के लिए अलग शौचालय, पीने के पानी की सुविधा, स्कूल-कार्य दिवसों की संख्या, शिक्षकों के काम के घंटे से संबंधित मानदंड और मानक निर्धारित हैं। जिसकी सहायता से सभी लोग सामान शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
निरक्षरता एक अभिशाप –
आज के युग में एक व्यक्ति का पढ़ने-लिखने से वंचित रह जाना एक अभिशाप है। साक्षरता मानव जीवन की प्रगति और विकास का मूल मंत्र है। अनपढ़ और निरक्षर व्यक्ति अपना ही भला नहीं कर सकता तो समाज और राष्ट्र का भला कैसे करेगा। एक अनपढ़ व्यक्ति न तो तेज रफतार युग के साथ चल पाता है और न ही उसकी सोच की सीमा विस्तृत होती है। पहले हमारे देश की जनसंख्या में अनपढ़ लोगों की संख्या बहुत अधिक थी। किन्तु आज सरकार के अथक प्रयासों से समाज में हर व्यक्ति को शिक्षित किया जा रहा है। घर-घर और गांव-गांव शिक्षा का प्रचार प्रसार किया जा रहा है, जिससे हर व्यक्ति शिक्षित हो सके और उन्नति के पथ पर अग्रसर हो सके। हर वर्ग का व्यक्ति अपनी अच्छाई-बुराई को समझे और अपने जीवन में सूझ-बूझ के साथ फैसले ले।
उपसंहार –
आज के युग में शिक्षा एक वरदान है, तो निरक्षरता एक अभिशाप है। आज विद्यालयों में निःशुल्क शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा एवं स्त्री शिक्षा द्वारा हमारे देश के कई राज्यों में 100 प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को पा लिया गया है। किन्तु इस क्षेत्र में अभी बहुत अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। हम सबको भी इस दिशा में भरपूर सहयोग देना चाहिए। सरकार को इस बात पर ध्यान देना होगा कि योग्य विद्यार्थी ही शिक्षक बने क्योंकि वो ही उत्तम शिक्षा दे पाएंगे। यदि शिक्षक ही उत्तम नहीं होगा तो विद्यार्थी कैसे उत्तम बनेगा क्योंकि शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थियों का सर्वंगीण विकास होता है। इस प्रणाली को पूरी तरह से सफल बनाने का भार हमारे शिक्षकों पर ही है।
आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को शिक्षा का महत्व और उसके लाभों को बताने के लिए टीवी और अखबारों के माध्यम से विज्ञापनों को दिखाया जाता है क्योंकि पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में लोग गरीबी और शिक्षा की ओर अधूरी जानकारी के कारण पढ़ाई नहीं करना चाहते हैं। परन्तु शिक्षा ही मानव अधिकारों, सामाजिक अधिकारों, देश के प्रति कर्तव्यों और दायित्वों को समझने में हमारी सहायता करती है। इसलिए हम सबको आज यह संकल्प लेना चाहिए कि देश में कोई भी व्यक्ति निरक्षर न रहे।