रक्षाबंधन पर निबंध | Essay on Raksha Bandhan in Hindi

रक्षाबंधन पर निबंध | Essay on Raksha Bandhan in Hindi

लघु निबंध –

रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं तथा भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है | भाई राखी बंधवाने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए या उपहार देते हैं।

महाभारत के इतिहास में कृष्ण और द्रौपदी की कहानी अत्यंत प्रसिद्ध है, कहते हैं कि जब महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र उठाया था तब उनकी अंगुली में चोट लग गई थी और खून बहने लगा था, तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण कि अंगुली पर बांध दिया था | इसके बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे उसकी सहायता करने का वचन दिया था। इसलिए ही जब दुष्शासन द्वारा द्रौपदी वस्त्र हरण हुआ था, तो तब श्री कृष्ण ने ही वहाँ आकर द्रौपदी की लाज बचाई थी |

भारत में रक्षाबन्धन के दिन राखी बाँधने की बहुत पुरानी परम्परा है। इस दिन बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और वादा करती हैं कि दोनों एक दूसरे की रक्षा करेंगे। इस दिन घर में कई तरह के पकवानों और मिठाईयों बनाई जाती है | राखी का पर्व घर के अतिरिक्त स्कूलों में भी मनाया जाता है। स्कूल में लड़किया लड़कों की कलाई पर राखी बांधती है तथा मिठाई खिलाती है | इसके बदले में लड़के लड़कियों को उपहार देते हैं |

हमारे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार एक ऐसी परंपरा है, जो हमें आपस में जोड़ती है, इसलिए आज भी हम सब इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। बहन भाई का रिश्ता खट्टा-मीठा होता है। यह त्यौहार हमें यह याद दिलाता है कि बहनों का हमारे जीवन में कितना महत्व है। इसलिए कभी भी किसी महिला के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए, हमेशा उसकी सहायता करनी चाहिए |

रक्षाबंधन पर निबंध | Essay on Raksha Bandhan in Hindi


विस्तृत निबंध –

प्रस्तावना –

रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। रक्षाबंधन को राखी भी कहते हैं। यह त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे श्रावणी भी कहा जाता है। प्रायः यह जुलाई या अगस्त के महीने में ही आता है | यह त्यौहार भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं तथा भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा का वचन देता है | भाई राखी बंधवाने के पश्चात् अपनी बहन को दक्षिणा स्वरूप रुपए या उपहार देते हैं।

इसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन है। इसे प्राय: सभी जाति-वर्ग के लोग समान रूप से मनाते हैं। राखी का यह त्यौहार मुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मलेशिया तथा अन्य देशों में (जहां भारतीय निवास करते हैं) भी मनाया जाता है।

रक्षाबंधन से जुडी पौराणिक कथाएं –

पुराणों में रक्षाबंधन से जुड़ी अनेको कथाएं प्रचलित हैं | जैसे-

कथा 1 –

भविष्य पुराण में वर्णन मिलता है कि एक बार देव और दानवों के बीच युद्ध शुरू हुआ और दानव देवताओं पर हावी होने लगे। तब भगवान इन्द्र घबरा कर बृहस्पति के पास गये। वहाँ बैठी हुई इन्द्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। उन्होंने रेशम का धागा मन्त्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति के हाथ पर बाँध दिया। संयोग से वह दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। उसके बाद देवताओं ने दानवों पर विजय प्राप्त कर ली | तब से लोगों का विश्वास है कि इन्द्र इस लड़ाई में इसी धागे की मन्त्र शक्ति से ही विजयी हुए थे। तब से ही श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बाँधने की प्रथा चली आ रही है।

कथा 2 –

पद्मपुराण, स्कन्ध पुराण और श्रीमद्भागवत में वामना भगवान के अवतार की कथा में रक्षाबन्धन का प्रसंग मिलता है। दानवेन्द्र राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया तो इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर राजा बलि से भिक्षा माँगने पहुँचे। गुरु के बार-बार मना करने पर भी बलि ने तीन पग भूमि दान कर दी। भगवान ने तीन पग में सारा आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया।

जब बलि रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति के बल से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया। भगवान के घर न लौटने से लक्ष्मी जी परेशान हो गई और उन्होंने नारद जी से इसका उपाय पूछा। तब उस उपाय का पालन करते हुए लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जाकर उसे रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया | राजा बलि ने रक्षासूत्र के बदले कुछ मांगने को कहा, तो लक्ष्मी जी ने बलि से अपने पति को वापिस अपने साथ ले जाने के लिए कहा। इस प्रकार लक्ष्मी जी भगवान विष्णु को अपने साथ वापिस ले आई | संयोग से उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी।

कथा 3 –

महाभारत के इतिहास में कृष्ण और द्रौपदी की कहानी अत्यंत प्रसिद्ध है, कहते हैं कि जब महाभारत की लड़ाई से पहले श्री कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध करने के लिए सुदर्शन चक्र उठाया था तब उनकी अंगुली में चोट लग गई थी और खून बहने लगा था, तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर श्री कृष्ण कि अंगुली पर बांध दिया था | इसके बदले श्री कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट मे उसकी सहायता करने का वचन दिया था। इसलिए ही जब दुष्शासन द्वारा द्रौपदी वस्त्र हरण हुआ था, तो तब श्री कृष्ण ने ही वहाँ आकर द्रौपदी की लाज बचाई थी |

कथा 4 –

राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी भी जुड़ी हुई है। मेवाड़ नरेश महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु के बाद कुमार विक्रमादित्य सिंहासन पर बैठे। उस समय विक्रमादित्य बहुत छोटे थे। उन दिनों मेवाड़ के सरदारों में आपसी फूट चरम सीमा पर थी। अपने लिए सही मौका जानकर गुजरात के शासक बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया। उस समय दिल्ली में बादशाह हुमायूं का शासन था।

महारानी कर्णावती ने उसके पास राखी और एक पत्र भेजा। पत्र में लिखा था ‘महाराज अब इस संसार में नहीं रहें और कुमार अभी बाल्यावस्था में हैं। राज्य में आपसी फूट है। गुजरात का शासक बहादुरशाह जो कभी महाराज के शरणागतों में था, ने किले पर चढ़ाई कर दी  है। मैं आपके लिए राखी भेज रही हूँ, कृपया आप इसे स्वीकार करें। आप महाराज के सिंहासन की रक्षा करें।’ राखी और पत्र पाते ही हुमांयू ने अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लिया तथा उसने अपनी विशाल सेना के साथ मेवाड़ के लिए कूच किया। इस प्रकार राखी के त्यौहार की और भी बहुत-सी  से कथाएं प्रचलित हैं |

रक्षाबंधन का महत्व –

भारत में रक्षाबन्धन के दिन राखी बाँधने की बहुत पुरानी परम्परा है। इस दिन बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और वादा करती हैं कि दोनों एक दूसरे की रक्षा करेंगे। सभी बहनों और भाइयों को एक दूसरे के प्रति प्रेम और कर्तव्य का पालन करने का दायित्व लेना चाहिए | अगर भाई अपने घर से दूर रहता है, तो रक्षाबंधन के दिन राखी बंधवाने के लिए वह अपने घर वापिस आ जाता है। और यदि भाई नहीं आ पाता है तो बहन अपने भाई को राखी डाक द्वारा भेजती है। इस दिन घर में कई तरह के पकवानों और मिठाईयों बनाई जाती है |

राखी का पर्व घर के अतिरिक्त स्कूलों में भी मनाया जाता है। स्कूल में लड़किया लड़कों की कलाई पर राखी बांधती है तथा मिठाई खिलाती है | इसके बदले में लड़के लड़कियों को उपहार देते हैं | महिलाओं द्वारा देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को भी सीमा पर जाकर राखी बांधी जाती है | राखी का त्योहार भाई-बहन को भावनात्मक तौर पर जोड़ता है। जैन धर्म में राखी का त्यौहार बहुत ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है |

उपसंहार –

हमारे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार एक ऐसी परंपरा है, जो हमें आपस में जोड़ती है, इसलिए आज भी हम सब इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ मनाते हैं। बहन भाई का रिश्ता खट्टा-मीठा होता है। जिसमें वह आपस में बहुत झगड़ते हैं, परन्तु एक-दूसरे से बात किए बिना रह भी नहीं सकते।

राखी का पर्व उनके जीवन में एक-दूसरे के महत्व को बताने का कार्य करता है, अतः हम सभी को यह उत्सव परंपरागत विधि से मनाना चाहिए। यह त्यौहार हमें यह याद दिलाता है कि बहनों का हमारे जीवन में कितना महत्व है। इसलिए कभी भी किसी महिला के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए, हमेशा उसकी सहायता करनी चाहिए |

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