संस्कृत में कृत् (कृदन्त) प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Krit Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

जिन प्रत्ययों को धातुओं में जोड़कर संज्ञा, विशेषण या अव्यय आदि पद बनाए जाते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहते हैं। ये प्रत्यय तिङ् प्रत्ययों से भिन्न होते हैं। जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा

  • अव्यय बनाने के लिये धातुओं में क्त्वा, ल्यप्, तुमुन् प्रत्ययों का योग किया जाता है।
  • धातु से विशेषण बनाने के लिए शतृ, शानच्, तव्यत्, अनीयर्, यत् आदि प्रत्ययों का योग किया जाता है।
  • भूतकालिक क्रिया के प्रयोग के लिए क्त, क्तवतु एवं ‘करना चाहिए‘ – इस अर्थ के लिए क्रिया के वाचक  तव्यत्, अनीयर्, यत् आदि प्रत्यायों का प्रयोग करते हैं।
  • धातु से संज्ञा बनाने हेतु तृच्, क्तिन्, ण्वुल्, ल्युट् आदि प्रत्ययों का योग किया जाता है।

Krit Pratyay in Sanskrit

1. क्त्वा प्रत्यय 

वाक्य में मुख्य क्रिया से पूर्व किए गए कार्य में पूर्वकालिक को व्यक्त करने के लिए धातु में ‘क्त्वा‘ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • ‘क्त्वा’ प्रत्यय का प्रयोग ‘कर’ या ‘करके’ अर्थ में होता है।
  • ‘क्त्वा’ प्रत्यय में से प्रथम वर्ण ‘क्’ का लोप होकर केवल ‘त्वा’ शेष रहता है।
  • जब वाक्य में दो क्रियाएँ होती हैं और पहली क्रिया ‘कर’ या ‘करके’ अर्थ में प्रयुक्त होती है, तब धातु के साथ ‘क्त्वा’ प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे- सः गृहं गत्वा पठति। (वह घर जाकर पढ़ता है।) इस वाक्य में दो क्रियाएँ हैं- प्रथम क्रिया ‘जाकर’ (गत्वा) तथा दूसरी क्रिया ‘पढ़ता है’ (पठति) है। दोनों क्रियाओं का कर्ता एक ही ‘वह’ (सः) है। यहाँ गम् धातु में ‘क्त्वा’ प्रत्यय जोड़ने पर ‘गत्वा’ शब्द बना हैं।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ
अर्ज् क्त्वा अर्जित्वा कमाकर
इष् क्त्वा इष्ट्वा इच्छा करके
कथ् क्त्वा कथयित्वा कहकर
कृ क्त्वा कृत्वा करके
कुप् क्त्वा कुपित्वा क्रोध करके
कूज् क्त्वा कूजित्वा कूजकर
कृष् क्त्वा कृष्ट्वा जोतकर
खाद् क्त्वा खादित्वा खाकर
खन् क्त्वा खनित्वा खोदकर
गम् क्त्वा गत्वा जाकर
गण् क्त्वा गणयित्वा गिनकर
चुर् क्त्वा चोरयित्वा चुराकर
चल् क्त्वा चलित्वा चलकर
चर् क्त्वा चरित्वा चलकर
जीव् क्त्वा जीवित्वा जीकर
जि क्त्वा जित्वा जीतकर
त्यज् क्त्वा त्यक्त्वा त्यागकर
तुल् क्त्वा तोलयित्वा तोलकर
दा क्त्वा दत्त्वा देकर
दृश् क्त्वा दृष्ट्वा देखकर
धाव् क्त्वा धावित्वा दौड़कर
धृ क्त्वा धृत्वा रखकर
नम् क्त्वा नत्वा नमन करके
नश् क्त्वा नष्ट्वा नष्ट होकर
पठ् क्त्वा पठित्वा पढ़कर
पत् क्त्वा पतित्वा गिरकर
पा क्त्वा पीत्वा पीकर
प्रच्छ् क्त्वा पृष्ट्वा पूछकर
पूज् क्त्वा पूजयित्वा पूजकर
पाल् क्त्वा पालयित्वा पालकर
पीड् क्त्वा पीडयित्वा दुःख देकर
पूर् क्त्वा पूरयित्वा भरकर
भ्रम् क्त्वा भ्रमित्वा घूमकर
भक्ष् क्त्वा भक्षयित्वा खाकर
भू क्त्वा भूत्वा होकर
रच् क्त्वा रचयित्वा रचना करके
रक्ष् क्त्वा रक्षित्वा रक्षा करके
वद् क्त्वा वदित्वा बोलकर
विश् क्त्वा विष्ट्वा घुसकर
वर्ण् क्त्वा वर्णयित्वा वर्णन करके
वच् क्त्वा उक्त्वा कहकर / बोलकर
श्रु क्त्वा श्रुत्वा सुनकर
स्मृ क्त्वा स्मृत्वा याद करके
स्पृश् क्त्वा स्पृष्ट्वा छूकर
स्था क्त्वा स्थित्वा ठहरकर
सृज् क्त्वा सृष्ट्वा रचना करके
सूच् क्त्वा सूचयित्वा सूचित करके
हस् क्त्वा हसित्वा हसकर
हन् क्त्वा हत्वा मारकर
क्षाल् क्त्वा क्षालयित्वा धोकर
ज्ञा क्त्वा ज्ञात्वा जानकर

2. ल्यप् प्रत्यय

जहाँ धातु के पूर्व उपसर्ग लगा हो वहाँ, ‘क्त्वा‘ के स्थान पर ‘ल्यप्‘ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है। ल्यप् प्रत्यय वाले शब्द भी अव्यय के रूप में ही प्रयोग किए जाते हैं। इनके रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

  • ‘ल्यप्’ प्रत्यय भी ‘कर’ या ‘करके‘ अर्थ में प्रयोग होता है।
  • ल्यप् प्रत्यय में ल् तथा प् का लोप हो जाने पर ‘’ शेष रहता है।
  • आकारांत, इकारांत, ऊकारांत धातु में ‘‘ जुड़ जाता है। आ+नी+ल्यप् = आनीय
  • हस्व वर्ण ल्यप् प्रत्यय से पहले हो तो तुक का आगम हो जाता है। सम+कृ + ल्यप् = संस्कृत्य
  • धातु के अंत मे म् और न् हो तो लोप हो जाता है और त् जुड़ जाता है। आ + गम् + ल्यप् = आगत्य
  • से शुरू होने वाली धातु में के स्थान पर का प्रयोग होता है।

उदाहरण

उपसर्ग धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ
गम् ल्यप् आगत्य आकर
दा ल्यप् आदाय लाकर
नी ल्यप् आनीय लाकर
उत् डी ल्यप् उड्डीय उड़कर
उत् तृ ल्यप् उत्तीर्य उत्तीर्ण करके
उत् स्था ल्यप् उत्थाय उठकर
उप कृ ल्यप् उपकृत्य उपकार करके
उप लभ् ल्यप् उपलभ्य प्राप्त करके
उप गम् ल्यप् उपगम्य पास जाकर
नि पा ल्यप् निपीय पीकर
निर् गम् ल्यप् निर्गत्य निकलकर
परि ग्रह् ल्यप् परिग्रह्य ग्रहण करके
परि त्यज् ल्यप् परित्यज्य त्यागकर
परि ईक्ष् ल्यप् परीक्ष्य देखकर
प्र नम् ल्यप् प्रणम्य प्रणाम करके
प्र आप् ल्यप् प्राप्य प्राप्त करके
प्र दा ल्यप् प्रदाय देकर
प्र धाव् ल्यप् प्रधाव्य दौड़कर
प्र सह् ल्यप् प्रसह्य सहन करके
वि ज्ञा ल्यप् विज्ञाय जानकर
वि हा ल्यप् विहाय छोड़कर
वि जि ल्यप् विजित्य जीतकर
वि क्री ल्यप् विक्रीय बेचकर
वि स्मृ ल्यप् विस्मृत्य भूलकर
वि लोक ल्यप् विलोक्य देखकर
वि कृ ल्यप् विकीर्य बिखेरकर
वि हृ ल्यप् विहृत्य विहार करके
सम् स्पृश् ल्यप् संस्पृश्य स्पर्श करके
सम् रक्ष् ल्यप् संरक्ष्य रक्षा करके
सम् भू ल्यप् संभूय एकत्रित होकर
सम् क्रुद्ध् ल्यप् संक्रुद्ध्य क्रोधित होकर
सम् दृश् ल्यप् संदृश्य देखकर
सम् भक्ष् ल्यप् संभक्ष्य खाकर
सम् प्रच्छ् ल्यप् सम्प्रच्छ्य पुछकर

3. तुमुन् प्रत्यय 

तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग ‘के लिए’ अर्थ में होता है। तुमुन् प्रत्यय से बना रूप अव्यय होता है। अतः उसके रूप नहीं चलते हैं।

  • तुमुन् प्रत्यय में से ‘मु’ के एवं अन्तिम अक्षर न् का लोप हो जाता है और ‘तुम्’ शेष रहता है।
  • जब दो क्रिया पदों का कर्ता एक होता है तथा एक क्रिया दूसरी क्रिया का प्रयोजन या निमित्त होती है तो निमित्तार्थक क्रिया पद में तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे- रमेशः पठितुं विद्यालयं गच्छति। इस वाक्य में पढ़ना और जाना दो क्रिया पद हैं, जिनमें पढ़ना क्रिया प्रयोजन है, जिसके लिए रमेश विद्यालय जाता है। अतः पठितुं में तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग हुआ है।
  • समय, वेला आदि कालवाची शब्दों के योग में भी तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है। जैसे- पठितुं समयोऽस्ति।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ
इष् तुमुन् एषितुम् चाहने के लिए
कथ् तुमुन् कथयितुम् कहने के लिए
क्रीड् तुमुन् क्रीडितुम् खेलने के लिए
कृ तुमुन् कर्तुम् करने के लिए
क्री तुमुन् क्रेतुम् खरीदने के लिए
क्रुद्ध् तुमुन् क्रोद्धुम् क्रोध करने के लिए
खाद् तुमुन् खादितुम् खाने के लिए
गम् तुमुन् गन्तुम् जाने के लिए
चल् तुमुन् चलितुम् चलने के लिए
जि तुमुन् जेतुम् जीतने के लिए
जीव् तुमुन् जीवितुम् जीने के लिए
दा तुमुन् दातुम् देने के लिए
दृश् तुमुन् दृष्टुम् देखने के लिए
धाव् तुमुन् धावितुम् दौड़ने के लिए
नी तुमुन् नेतुम् ले जाने के लिए
पा तुमुन् पातुम् पीने के लिए
प्रच्छ् तुमुन् प्रष्टुम् पूछने के लिए
पठ् तुमुन् पठितुम् पढ़ने के लिए
पच् तुमुन् पक्तुम् पकाने के लिए
पत् तुमुन् पतितुम् गिरने के लिए
भू तुमुन् भवितुम् होने के लिए
भुज् तुमुन् भोक्तुम् खाने के लिए
भ्रम् तुमुन् भ्रमितुम् घूमने के लिए
भाष् तुमुन् भाषितुम् भाषण के लिए
लिख् तुमुन् लेखितुम् लिखने के लिए
श्रु तुमुन् श्रोतुम् सुनने के लिए
स्मृ तुमुन् स्मर्तुम् स्मरण करने के लिए
स्ना तुमुन् स्नातुम् स्नान के लिए
हन् तुमुन् हन्तुम् मारने के लिए
हस् तुमुन् हसितुम् हसने के लिए
ज्ञा तुमुन् कर्तुम् जानने के लिए

4. शतृ प्रत्यय 

वर्तमान काल में हुआ, हुई, रहा, रहे आदि अर्थ का बोध कराने के लिए ‘शतृ’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • एक कार्य को करते हुए जब साथ में अन्य कार्य भी किया जा रहा हो तो करता हुआ, करती हुई आदि अर्थ को बताने के लिए परस्मैपदी धातु में ‘शतृ’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
  • शतृ के श् और का लोप होकर धातु में अत् जुड़ता है।
  • शतृ प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण के रूप में प्रयोग होते हैं। अतः इनके रूप तीनों लिङ्गो में चलते हैं।
  • वाक्य में प्रयोग करते समय शतृ प्रत्ययान्त शब्दों में उसी लिंग, विभक्ति तथा वचन का प्रयोग होता है, जो विशेष्य का होता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
अर्च् शतृ अर्चत् पूजा करता हुआ अर्चन् अर्चन्ती अर्चत्
इष् शतृ इच्छत् इच्छा करता  हुआ इच्छन् इच्छन्ती इच्छत्
कृ शतृ कुर्वत् करता हुआ कुर्वन् कुर्वन्ती कुर्वत्
क्रुद्ध् शतृ क्रुद्धयत् क्रोध करता हुआ क्रुद्धयन् क्रुद्धयन्ती क्रुद्धयत्
कथ् शतृ कथयत् कहता हुआ कथयन् कथयन्ती कथयत्
क्रीड् शतृ क्रीडत् खेलता हुआ क्रीडन् क्रीडन्ती क्रीडत्
गम् शतृ गच्छत् जाता हुआ गच्छन् गच्छन्ती गच्छत्
गण् शतृ गणयत् गिनता हुआ गणयन् गणयन्ती गणयत्
गृह् शतृ गृह्णत् ग्रहण करता हुआ गृह्णन् गृह्णन्ती गृह्णत्
घ्रा शतृ जिघ्रत् सूँघता हुआ जिघ्रन् जिघ्रन्ती जिघ्रत्
चुर् शतृ चोरयत् चुराता हुआ चोरयन् चोरयन्ती चोरयत्
चिन्त् शतृ चिन्तयत् सोचता हुआ चिन्तयन् चिन्तयन्ती चिन्तयत्
दृश् शतृ पश्यत् देखता हुआ पश्यन् पश्यन्ती पश्यत्
दा शतृ ददत् देता हुआ यच्छन् यच्छन्ती यच्छत्
धाव् शतृ धावत् दौड़ता हुआ धावन् धावन्ती धावत्
नी शतृ नयत् ले जाता हुआ नयन् नयन्ती नयत्
नृत् शतृ नृत्यत् नाचता हुआ नृत्यन् नृत्यन्ती नृत्यत्
पठ् शतृ पठत् पढ़ता हुआ पठन् पठन्ती पठत्
पच् शतृ पचत् पकाता हुआ पचन् पचन्ती पचत्
पा शतृ पिबत् पीता हुआ पिबन् पिबन्ती पिबत्
पाल् शतृ पालयत् पालन करता हुआ पालयन् पालयन्ती पालयत्
पीड् शतृ पीडयत् पीड़ित करता हुआ पीडयन् पीडयन्ती पीडयत्
प्रच्छ् शतृ प्रच्छत् पूछता हुआ प्रच्छन् प्रच्छन्ती प्रच्छत्
भू शतृ भवत् होता हुआ भवन् भवन्ती भवत्
मिल् शतृ मिलत् मिलता हुआ मिलन् मिलन्ती मिलत्
यज् शतृ यजत् यजन करता हुआ यजन् यजन्ती यजत्
लिख् शतृ लिखत् लिखता हुआ लिखन् लिखन्ती लिखत्
श्रु शतृ शृण्वत् सुनता हुआ शृण्वन् शृण्वन्ती शृण्वत्
हस् शतृ हसत् हसता हुआ हसन् हसन्ती हसत्
जि शतृ जयत् जीतता हुआ जयन् जयन्ती जयत्
चल् शतृ चलत् चलता हुआ चलन् चलन्ती चलत्

5. शानच् प्रत्यय 

वर्तमान काल में हुआ, हुई, रहा, रहे आदि अर्थ का बोध कराने के लिए ‘शानच्’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • एक कार्य को करते हुए जब साथ में अन्य कार्य भी किया जा रहा हो तो करता हुआ, करती हुई आदि अर्थ को बताने के लिए आत्मनेपदी धातु में ‘शानच्’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
  • शानच् के श् और च् का लोप होकर आन के पहले म् का आगम हो जाता है। इस प्रकार धातु में मान जुड़ता है।
  • शानच् प्रत्यय से बने हुए शब्द विशेषण के रूप में प्रयोग होते हैं। अतः इनके रूप तीनों लिङ्गो में चलते हैं।
  • वाक्य में प्रयोग करते समय शानच् प्रत्ययान्त शब्दों में उसी लिंग, विभक्ति तथा वचन का प्रयोग होता है, जो विशेष्य का होता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
कृ शानच् कुर्वाण करता हुआ कुर्वाणः कुर्वाणा कुर्वाणम्
कम्प् शानच् कम्पमान काँपता हुआ कम्पमानः कम्पमाना कम्पमानम्
जन् शानच् जायमान पैदा होता हुआ जायमानः जायमाना जायमानम्
धा शानच् सेवमान स्थापित करता हुआ दधानः दधाना दधानम्
पच् शानच् पचमान पकाता हुआ पचमानः पचमाना पचमानम्
ब्रु शानच् ब्रुवाण कहता हुआ ब्रुवाणः ब्रुवाणा ब्रुवाणम्
भाष् शानच् भाषमान बोलता हुआ भाषमानः भाषमाना भाषमानम्
मन् शानच् मन्यमान जानता हुआ मन्यमानः मन्यमाना मन्यमानम्
मृ शानच् म्रियमाण मरता हुआ म्रियमाणः म्रियमाणा म्रियमाणम्
मुद् शानच् मोदमान प्रसन्न होता हुआ मोदमानः मोदमाना मोदमानम्
यज् शानच् यजमान यजन करता हुआ यजमानः यजमाना यजमानम्
यत् शानच् यतमान कोशिश करता हुआ यतमानः यतमाना यतमानम्
याच् शानच् याचमान मॉंगता हुआ याचमानः याचमाना याचमानम्
रुच् शानच् रोचमाण अच्छा लगता हुआ रोचमाणः रोचमाणा रोचमाणम्
लभ् शानच् लभमान प्राप्त करता हुआ लभमानः लभमाना लभमानम्
वृध् शानच् वर्धमान बढ़ता हुआ वर्धमानः वर्धमाना वर्धमानम्
वृत् शानच् वर्तमान होता हुआ वर्तमानः वर्तमाना वर्तमानम्
विद्य शानच् विद्यमान विद्यमान होता हुआ विद्यमानः विद्यमाना विद्यमानम्
व्यथ् शानच् व्यथमान दुःखी होता हुआ व्यथमानः व्यथमाना व्यथमानम्
शुभ् शानच् शोभमान शोभित होता हुआ शोभमानः शोभमाना शोभमानम्
शङ्क शानच् शंकमान शंका करता हुआ शंकमानः शंकमाना शंकमानम्
शिक्ष् शानच् शिक्षमाण शिक्षा देता हुआ शिक्षमाणः शिक्षमाणा शिक्षमाणम्
शीङ् शानच् शयान सोता हुआ शयानः शयाना शयानम्
सह् शानच् सहमान सहन करता हुआ सहमानः सहमाना सहमानम्
सेव् शानच् सेवमान सेवा करता हुआ सेवमानः सेवमाना सेवमानम्

6. क्त प्रत्यय 

भूतकालिक क्रिया के अर्थ में ‘क्त‘ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • क्त प्रत्यय में ‘’ शेष रहता है।
  • क्त प्रत्यय सकर्मक धातु में कर्मवाच्य और अकर्मक धातु में भाववाच्य अर्थ में होता है।
  • क्त के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं। क्त प्रत्यय के रूप पुल्लिंग में राम के समान, स्त्रीलिंग में रमा के समान और नपुंसकलिंग में फल के समान चलते हैं।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
आ + गम् क्त आगत आया आगतः आगता आगतम्
आ + दिश् क्त आदिष्ट आदेश दिया आदिष्टः आदिष्टा आदिष्टम्
आ + नी क्त आनीत लाया आनीतः आनीता आनीतम्
आ + रुह् क्त आरुढ चढ़ा आरुढः आरुढा आरुढम्
इष् क्त इष्ट इच्छा की इष्टः इष्टा इष्टम्
कृ क्त कृत किया कृतः कृता कृतम्
क्री क्त क्रीत खरीदा क्रीतः क्रीता क्रीतम्
गम् क्त गत गया गतः गता गतम्
गै क्त गीत गाया गीतः गीता गीतम्
छिद् क्त छिन्न छेदा गया छिन्नः छिन्ना छिन्नम्
दृश् क्त दृष्ट देखा दृष्टः दृष्टा दृष्टम्
नु क्त नुत स्तुति की नुतः नुता नुतम्
नश् क्त नष्ट नष्ट हुआ नष्टः नष्टा नष्टम्
नी क्त नीत ले गया नीतः नीता नीतम्
पच् क्त पक्व पका हुआ पक्वः पक्वा पक्वम्
पठ् क्त पठित पढ़ा पठितः पठिता पठितम्
पा क्त पीत पिया पीतः पीता पीतम्
परि + त्यज् क्त परित्यक्त त्याग दिया परित्यक्तः परित्यक्ता परित्यक्तम्
प्रच्छ् क्त प्रष्ट पूछा प्रष्टः प्रष्टा प्रष्टम्
भक्ष् क्त भक्षित खाया भक्षितः भक्षिता भक्षितम्
भी क्त भीत डर गया भीतः भीता भीतम्
लभ् क्त लब्ध पाया लब्धः लब्धा लब्धम्
वच् क्त उक्त कहा उक्तः उक्ता उक्तम्
श्रु क्त श्रुत सुना श्रुतः श्रुता श्रुतम्
सेव् क्त सेवित सेवा किया गया सेवितः सेविता सेवितम्
हन् क्त हत मारा हतः हता हतम्
हस् क्त हसित हँसा हसितः हसिता हसितम्
त्रस् क्त त्रस्त दुःखी हुआ त्रस्तः त्रस्ता त्रस्तम्

7. क्तवतु प्रत्यय 

भूतकालिक क्रिया के अर्थ में ‘क्तवतु‘ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • क्तवतु प्रत्यय में ‘तवत्’ शेष रहता है।
  • क्तवतु प्रत्यय कर्तृवाच्य में होता है।
  • क्तवतु के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं। क्तवतु के रूप पुल्लिंग में भवत् के समान, स्त्रीलिंग में ‘’ जुड़कर नदी के समान तथा नपुंसकलिंग में जगत् के समान चलते हैं।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
आ + दिश् क्तवतु आदिष्टवत् आदेश दिया आदिष्टवान् आदिष्टवती आदिष्टवत्
आ + नी क्तवतु आनीतवत् लाया आनीतवान् आनीतवती आनीतवत्
आ + रुह् क्तवतु आरुढवत् चढ़ा आरुढवान् आरुढवती आरुढवत्
इष् क्तवतु इष्टवत् इच्छा की इष्टवान् इष्टवती इष्टवत्
उप + कृ क्तवतु उपकृतवत् उपकार किया उपकृतवान् उपकृतवती उपकृतवत्
उप + दिश् क्तवतु उपदिष्टवत् उपदेश दिया उपदिष्टवान् उपदिष्टवती उपदिष्टवत्
कृ क्तवतु कृतवत् किया कृतवान् कृतवती कृतवत्
कथ् क्तवतु कथितवत् कहा कथितवान् कथितवती कथितवत्
क्री क्तवतु क्रीतवत् ख़रीदा क्रीतवान् क्रीतवती क्रीतवत्
गम् क्तवतु गतवत् गया गतवान् गतवती गतवत्
ग्रह् क्तवतु गृहीतवत् ग्रहण किया गृहीतवान् गृहीतवती गृहीतवत्
चिन्त् क्तवतु चिन्तितवत् सोचा चिन्तितवान् चिन्तितवती चिन्तितवत्
चुर् क्तवतु चोरितवत् चुराया चोरितवान् चोरितवती चोरितवत्
ताड् क्तवतु ताडितवत् पीटा ताडितवान् ताडितवती ताडितवत्
दृश् क्तवतु दृष्टवत् देखा दृष्टवान् दृष्टवती दृष्टवत्
नी क्तवतु नीतवत् ले गया नीतवान् नीतवती नीतवत्
पठ् क्तवतु पठितवत् पढ़ा पठितवान् पठितवती पठितवत्
पा क्तवतु पीतवत् पिया पीतवान् पीतवती पीतवत्
भाष् क्तवतु भाषितवत् कहा भाषितवान् भाषितवती भाषितवत्
भक्ष् क्तवतु भक्षितवत् खाया भक्षितवान् भक्षितवती भक्षितवत्
वच् क्तवतु उक्तवत् कहा उक्तवान् उक्तवती उक्तवत्
श्रु क्तवतु श्रुतवत् सुना श्रुतवान् श्रुतवती श्रुतवत्
सेव् क्तवतु सेवितवत् सेवा की सेवितवान् सेवितवती सेवितवत्
स्था क्तवतु स्थितवत् ठहरा हुआ स्थितवान् स्थितवती स्थितवत्
हन् क्तवतु हतवत् मारा हतवान् हतवती हतवत्
हृ क्तवतु हृतवत् चुराया हृतवान् हृतवती हृतवत्
क्षिप् क्तवतु क्षिप्तवत् फेंका क्षिप्तवान् क्षिप्तवती क्षिप्तवत्
ज्ञा क्तवतु ज्ञातवत् ज्ञात हुआ ज्ञातवान् ज्ञातवती ज्ञातवत्

8. तव्यत् प्रत्यय 

तव्यत् प्रत्यय का प्रयोग ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ अर्थ में किया जाता है।

  • तव्यत् प्रत्यय में से ‘त्’ का लोप होने पर ‘तव्य’ शेष रहता है।
  • तव्यत् प्रत्यय के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं।
  • तव्यत् प्रत्यय में कर्ता में तृतीया और कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया जाता है तथा क्रिया कर्म के अनुसार होती है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
अर्ज् तव्यत् अर्जितव्य कमाना चाहिए अर्जितव्यः अर्जितव्या अर्जितव्यम्
एध् तव्यत् एधितव्य बढ़ना चाहिए एधितव्यः एधितव्या एधितव्यम्
कृ तव्यत् कर्तव्य करना चाहिए कर्तव्यः कर्तव्या कर्तव्यम्
कथ् तव्यत् कथितव्य कहना चाहिए कथितव्यः कथितव्या कथितव्यम्
क्रुध् तव्यत् क्रोधितव्य क्रोधित होना चाहिए क्रोधितव्यः क्रोधितव्या क्रोधितव्यम्
क्री तव्यत् क्रेतव्य खरीदना चाहिए क्रेतव्यः क्रेतव्या क्रेतव्यम्
गम् तव्यत् गन्तव्य जाना चाहिए गन्तव्यः गन्तव्या गन्तव्यम्
ग्रह् तव्यत् ग्रहीतव्य ग्रहण करना चाहिए ग्रहीतव्यः ग्रहीतव्या ग्रहीतव्यम्
चुर् तव्यत् चोरयितव्य चुराना चाहिए चोरयितव्यः चोरयितव्या चोरयितव्यम्
चल् तव्यत् चलितव्य चलना चाहिए चलितव्यः चलितव्या चलितव्यम्
जि तव्यत् जेतव्य जीतना चाहिए जेतव्यः जेतव्या जेतव्यम्
दा तव्यत् दातव्य देना चाहिए दातव्यः दातव्या दातव्यम्
दृश् तव्यत् द्रष्टव्य देखना चाहिए द्रष्टव्यः द्रष्टव्या द्रष्टव्यम्
धाव् तव्यत् धावितव्य दौड़ना चाहिए धावितव्यः धावितव्या धावितव्यम्
नम् तव्यत् नन्तव्य नमस्कार करना चाहिए नन्तव्यः नन्तव्या नन्तव्यम्
नृत् तव्यत् गन्तव्य नाचना चाहिए नर्तितव्यः नर्तितव्या नर्तितव्यम्
नी तव्यत् नेतव्य ले जाना चाहिए नेतव्यः नेतव्या नेतव्यम्
पठ् तव्यत् पठितव्य पढ़ना चाहिए पठितव्यः पठितव्या पठितव्यम्
पच् तव्यत् पक्तव्य पकाना चाहिए पक्तव्यः पक्तव्या पक्तव्यम्
पा तव्यत् पातव्य पीना चाहिए पातव्यः पातव्या पातव्यम्
पत् तव्यत् पतितव्य गिरना चाहिए पतितव्यः पतितव्या पतितव्यम्
प्रच्छ् तव्यत् प्रष्टव्य पूछना चाहिए प्रष्टव्यः प्रष्टव्या प्रष्टव्यम्
भाष् तव्यत् भाषितव्य कहना चाहिए भाषितव्यः भाषितव्या भाषितव्यम्
भू तव्यत् भवितव्य होना चाहिए भवितव्यः भवितव्या भवितव्यम्
मुद् तव्यत् मोदितव्य प्रसन्न होना चाहिए मोदितव्यः मोदितव्या मोदितव्यम्
रक्ष् तव्यत् रक्षितव्य रक्षा करनी चाहिए रक्षितव्यः रक्षितव्या रक्षितव्यम्
रच् तव्यत् रचयितव्य रचना करनी चाहिए रचयितव्यः रचयितव्या रचयितव्यम्
लिख् तव्यत् लेखितव्य लिखना चाहिए लेखितव्यः लेखितव्या लेखितव्यम्
लभ् तव्यत् लब्धव्य प्राप्त करना चाहिए लब्धव्यः लब्धव्या लब्धव्यम्
वद् तव्यत् वदितव्य बोलना चाहिए वदितव्यः वदितव्या वदितव्यम्
वृध् तव्यत् वर्धितव्य बढ़ना चाहिए वर्धितव्यः वर्धितव्या वर्धितव्यम्
शी तव्यत् शयितव्य सोना चाहिए शयितव्यः शयितव्या शयितव्यम्
श्रु तव्यत् श्रोतव्य सुनना चाहिए श्रोतव्यः श्रोतव्या श्रोतव्यम्
स्था तव्यत् स्थातव्य बैठना चाहिए स्थातव्यः स्थातव्या स्थातव्यम्
स्मृ तव्यत् स्मर्तव्य याद करना चाहिए स्मर्तव्यः स्मर्तव्या स्मर्तव्यम्
हस् तव्यत् हसितव्य हसना चाहिए हसितव्यः हसितव्या हसितव्यम्
हन् तव्यत् हन्तव्य मारना चाहिए हन्तव्यः हन्तव्या हन्तव्यम्

9. अनीयर् प्रत्यय 

अनीयर् प्रत्यय का प्रयोग ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ अर्थ में किया जाता है।

  • अनीयर् प्रत्यय में से र् का लोप होने पर ‘अनीय’ शेष रहता है।
  • अनीयर् प्रत्यय के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं।
  • अनीयर् प्रत्यय में कर्ता में तृतीया और कर्म में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग किया जाता है तथा क्रिया कर्म के अनुसार होती है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
अर्ज् अनीयर् अर्जनीय बोलना चाहिए अर्जनीयः अर्जनीया अर्जनीयम्
ईक्ष् अनीयर् ईक्षणीय देखना चाहिए ईक्षणीयः ईक्षणीया ईक्षणीयम्
कथ् अनीयर् कथनीय कहना चाहिए कथनीयः कथनीया कथनीयम्
कृ अनीयर् करणीय करना चाहिए करणीयः करणीया करणीयम्
गम् अनीयर् गमनीय जाना चाहिए गमनीयः गमनीया गमनीयम्
ग्रह् अनीयर् ग्रहणीय ग्रहण करना चाहिए ग्रहणीयः ग्रहणीया ग्रहणीयम्
चुर् अनीयर् चोरणीय चुराना चाहिए चोरणीयः चोरणीया चोरणीयम्
चल् अनीयर् चलनीय चलना चाहिए चलनीयः चलनीया चलनीयम्
जि अनीयर् जयनीय जीतना चाहिए जयनीयः जयनीया जयनीयम्
दा अनीयर् दानीय देना चाहिए दानीयः दानीया दानीयम्
दृश् अनीयर् दर्शनीय देखना चाहिए दर्शनीयः दर्शनीया दर्शनीयम्
धाव् अनीयर् धावनीय दौड़ना चाहिए धावनीयः धावनीया धावनीयम्
पठ् अनीयर् पठनीय पढ़ना चाहिए पठनीयः पठनीया पठनीयम्
पच् अनीयर् पचनीय पकाना चाहिए पचनीयः पचनीया पचनीयम्
पूज् अनीयर् पूजनीय पूजना चाहिए पूजनीयः पूजनीया पूजनीयम्
पा अनीयर् पानीय पीना चाहिए पानीयः पानीया पानीयम्
प्रच्छ् अनीयर् प्रच्छनीय पूछना चाहिए प्रच्छनीयः प्रच्छनीया प्रच्छनीयम्
भाष् अनीयर् भाषणीय कहना चाहिए भाषणीयः भाषणीया भाषणीयम्
रक्ष् अनीयर् रक्षणीय रक्षा करनी चाहिए रक्षणीयः रक्षणीया रक्षणीयम्
लिख् अनीयर् लेखनीय लिखना चाहिए लेखनीयः लेखनीया लेखनीयम्
वच् अनीयर् वचनीय बोलना चाहिए वचनीयः वचनीया वचनीयम्
वद् अनीयर् वदनीय बोलना चाहिए वदनीयः वदनीया वदनीयम्
श्रु अनीयर् श्रवणीय सुनना चाहिए श्रवणीयः श्रवणीया श्रवणीयम्
सृज् अनीयर् सर्जनीय रचना करनी चाहिए सर्जनीयः सर्जनीया सर्जनीयम्
स्मृ अनीयर् स्मरणीय याद करना चाहिए स्मरणीयः स्मरणीया स्मरणीयम्
स्ना अनीयर् स्नानीय नहाना चाहिए स्नानीयः स्नानीया स्नानीयम्
हस् अनीयर् हसनीय हसना चाहिए हसनीयः हसनीया हसनीयम्

10. यत् प्रत्यय 

यत् प्रत्यय का प्रयोग ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ अर्थ में किया जाता है।

  • यत् प्रत्यय में ‘’ शेष रहता है।
  • यत् प्रत्यय के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं।
  • अधिकांशतः अजन्त धातुओं के साथ यत् प्रत्यय का प्रयोग होता है और धातु के ‘इकार‘ को तथा को अय् आदेश और ‘उकार‘ को तथा को अव् आदेश होता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
गै यत् गेय गाना चाहिए गेयः गेया गेयम्
चि यत् चेय चुनना चाहिए चेयः चेया चेयम्
जि यत् जेय जीतना चाहिए जेयः जेया जेयम्
दा यत् देय देना चाहिए देयः देया देयम्
नी यत् नेय ले जाना चाहिए नेयः नेया नेयम्
पा यत् पेय पीना चाहिए पेयः पेया पेयम्
भू यत् भव्य होना चाहिए भव्यः भव्या भव्यम्
लभ् यत् लभ्य प्राप्त करना चाहिए लभ्यः लभ्याः लभ्यम्
श्रु यत् श्रव्य सुनना चाहिए श्रव्यः श्रव्या श्रव्यम्
स्था यत् स्थेय बैठना चाहिए स्थेयः स्थेया स्थेयम्

11. ण्यत् प्रत्यय 

ण्यत् प्रत्यय का प्रयोग ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ अर्थ में किया जाता है।

  • ण्यत् प्रत्यय में ‘’ शेष रहता है।
  • ण्यत् प्रत्यय के रूप तीनों लिंगों में चलते हैं।
  • अधिकांशतः ऋकारान्त तथा हल् धातुओं के साथ ण्यत् प्रत्यय का प्रयोग होता है और ण्यत् से पूर्व की वृद्धि हो जाती है। हलन्त धातु की उपधा में यदि हो तो उसे वृद्धि करने पर दीर्घ हो जाता है। यदि उपधा में , या हो तो क्रमशः , और अर् हो जाते हैं।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग स्त्रिलिंग नपुंसकलिंग
कृ ण्यत् कार्य करना चाहिए कार्यः कार्या कार्यम्
ग्रह् ण्यत् ग्राह्य पढ़ना चाहिए ग्राह्यः ग्राह्या ग्राह्यम्
चुर् ण्यत् चौर्य चुराना चाहिए चौर्यः चौर्या चौर्यम्
त्यज् ण्यत् त्याज्य छोड़ना चाहिए त्याज्यः त्याज्या त्याज्यम्
पठ् ण्यत् पाठ्य पढ़ना चाहिए पाठ्यः पाठ्या पाठ्यम्
लिख् ण्यत् लेख्य लिखना चाहिए लेख्यः लेख्या लेख्यम्
वच् ण्यत् वाच्य बोलना चाहिए वाच्यः वाच्या वाच्यम्
सेव् ण्यत् सेव्य सेवा करनी चाहिए सेव्यः सेव्या सेव्यम्
स्मृ ण्यत् स्मार्य याद करना चाहिए स्मार्यः स्मार्या स्मार्यम्
हृ ण्यत् हार्य चुराना चाहिए हार्यः हार्या हार्यम्

12. क्यप् प्रत्यय 

क्यप् प्रत्यय का प्रयोग ‘चाहिए’ अथवा ‘योग्य’ अर्थ में किया जाता है।

  • क्यप् प्रत्यय में ‘’ शेष रहता है।
  • क्यप् प्रत्यय के योग से धातु में ‘गुण‘ या ‘वृद्धि‘ नहीं होती तथा हृस्व स्वरान्त धातु के बाद त् का आगम होता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ
क्यप् इत्यः जिसके पास जाना चाहिए
वृ क्यप् वृत्यः चुनने योग्य
शास् क्यप् शिष्यः जिसे कहना चाहिए
स्तु क्यप् स्तुत्यः स्तुति के योग्य

13. णिनि प्रत्यय 

णिनि प्रत्यय का प्रयोग ‘कर्ता’ अर्थ में किया जाता है। णिनि प्रत्यय में ‘इन्’ शेष रहता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिंग रूप
अयाच् णिनि अयाचिन् माँगने वाला अयाची
कृ णिनि कारिन् करने वाला कारी
ग्रह् णिनि ग्राहिन् ग्रहण करने वाला ग्राही
गम् णिनि गामिन् जाने वाला गामी
दा णिनि दायिन् देने वाला दायी
दृश् णिनि दर्शिन् देखने वाला दर्शी
भू णिनि भाविन् होने वाला भावी
वद् णिनि वादिन् बोलने वाला वादी
वस् णिनि वासिन् रहने वाला वासी
स्था णिनि स्थायिन् रुकने वाला स्थायी
हन् णिनि घातिन् मारने वाला घाती

14. ण्वुल् प्रत्यय 

ण्वुल् प्रत्यय का प्रयोग ‘कर्ता’ अर्थ में किया जाता है।

  • ण्वुल् प्रत्यय में ‘वु’ शेष रहता है और वु का अक हो जाता है।
  • कर्ता के अनुसार लिङ्ग का प्रयोग किया जाता है।
  • ण्वुल् प्रत्यय लगने पर धातु के अंत में स्थित स्वर की वृद्धि होती है तथा उपधा स्थित लघु वर्ण का गुण हो जाता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ
कृ ण्वुल् कारकः करने वाला
क्रीड् ण्वुल् क्रीडकः खेलने वाला
गै ण्वुल् गायकः गाने वाला
ग्रह् ण्वुल् ग्राहकः ग्रहण करने वाला
जन् ण्वुल् जनकः पैदा करने वाला
छिद् ण्वुल् छेदकः छेद करने वाला
दा ण्वुल् दायकः देने वाला
दृश् ण्वुल् दर्शकः देखने वाला
नृत् ण्वुल् नर्तकः नाचने वाला
नी ण्वुल् नायकः ले जाने वाला
पठ् ण्वुल् पाठकः पढ़ने वाला
पच् ण्वुल् पाचकः पकाने वाला
मुच् ण्वुल् मोचकः छुड़ाने वाला
युज् ण्वुल् योजकः जोड़ने वाला
रक्ष् ण्वुल् रक्षकः रक्षा करने वाला
लिख् ण्वुल् लेखकः लिखने वाला
शिक्ष् ण्वुल् शिक्षकः पढ़ाने वाला
श्रु ण्वुल् श्रावकः सुनने वाला
सिच् ण्वुल् सेचकः सींचने वाला
हन् ण्वुल् घातकः मारने वाला
त्रस् ण्वुल् त्रासकः दुःखी होने वाला

15. तृच् प्रत्यय 

तृच् प्रत्यय का प्रयोग ‘कर्ता’ अर्थ में किया जाता है।

  • तृच् प्रत्यय में ‘तृ’ शेष रहता है और च् का लोप हो जाता है।
  • तृच् प्रत्यय से बने रूप पुल्लिङ्ग् में पितृ के समान और स्त्रीलिङ्ग में नदी के समान चलते हैं।
  • विशेष्य के अनुसार लिङ्ग, विभक्ति और वचन का प्रयोग किया जाता है।
  • धातु के अंत में स्थित स्वर , को , , को और को अर् हो जाता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त शब्द अर्थ पुल्लिङ्ग् स्त्रीलिङ्ग
कृ तृच् कर्तृ करने वाला कर्ता कर्त्री
कथ् तृच् कथयितृ कहने वाला कथयिता कथयित्री
खाद् तृच् खादितृ खाने वाला खादिता खादित्री
गम् तृच् गन्तृ जाने वाला गन्ता गन्त्री
चुर् तृच् चोरयितृ चुराने वाला चोरयिता चोरयित्री
चिन्त् तृच् चिन्तयितृ सोचने वाला चिन्तयिता चिन्तयित्री
जन् तृच् जनयितृ पैदा करने वाला जनयिता जनयित्री
जि तृच् जेतृ जीतने वाला जेता जेत्री
दा तृच् दातृ देने वाला दाता दात्री
दृश् तृच् दृष्ट्र देखने वाला दृष्टा दृष्टी
धा तृच् धातृ धारण करने वाला धाता धात्री
नी तृच् नेतृ लाने वाला नेता नेत्री
नम् तृच् नन्तृ प्रणाम करने वाला नन्ता नन्त्री
पच् तृच् पक्तृ पकाने वाला पक्ता पक्त्री
पठ् तृच् पठितृ पढ़ने वाला पठिता पठित्री
पूज् तृच् पूजयितृ पूजने वाला पूजयिता पूजयित्री
भुज् तृच् भोक्तृ खाने वाला भोक्ता भोक्त्री
भू तृच् भवितृ होने वाला भविता भवित्री
भी तृच् भेतृ डरने वाला भेता भेत्री
रक्ष् तृच् रक्षितृ रक्षा करने वाला रक्षिता रक्षित्री
रच् तृच् रचयितृ रचना करने वाला रचयिता रचयित्री
वच् तृच् वक्तृ बोलने वाला वक्ता वक्त्री
वद् तृच् वदितृ पढ़ने वाला वदिता वदित्री
शी तृच् शयितृ सोने वाला शयिता शयित्री
श्रु तृच् श्रोतृ सुनने वाला श्रोता श्रोत्री
सेव् तृच् सेवितृ सेवा करने वाला सेविता सेवित्री
हस् तृच् हसितृ हसने वाला हसिता हसित्री
हन् तृच् हन्तृ मारने वाला हन्ता हन्त्री
ज्ञा तृच् ज्ञातृ जानने वाला ज्ञाता ज्ञात्री

16. क्तिन् प्रत्यय

भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए धातु के साथ क्तिन् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • क्तिन् प्रत्यय में ‘ति’ शेष रहता है और ‘कृ’ तथा ‘न्’ का लोप हो जाता है।
  • क्तिन् प्रत्यय से बने रूप स्त्रीलिङ्ग में मति के समान चलते हैं।
  • धातु के अंत में यदि च् या ज् है तो उसे क् हो जाता है।
  • धातु के अंत में यदि म् है तो उसका लोप हो जाता है।
  • धातु के अन्त में यदि ध् है तो उसे द् हो जाता है और ति को धि हो जाता है।
  • धातु के अन्त में यदि श् है तो उसे ष् हो जाता है और ति को टि हो जाता है।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त स्त्रीलिङ्ग शब्द अर्थ
आ + हु क्तिन् आहुतिः आहुति देना
आ + संज् क्तिन् आसक्तिः आसक्त होना
उप + लभ् क्तिन् उपलब्धिः पाना
क्रम् क्तिन् क्रान्तिः चलना
कृ क्तिन् कृतिः करना
गम् क्तिन् गतिः जाना
गै क्तिन् गीतिः गाना
जन् क्तिन् जातिः जाति
तृप् क्तिन् तृप्तिः तृप्त होना
दृश् क्तिन् दृष्टिः देखना
दीप् क्तिन् दीप्तिः चमकना
धृ क्तिन् धृतिः धारण करना
नी क्तिन् नीतिः लाना
प्र + आप् क्तिन् प्राप्तिः प्राप्त करना
पच् क्तिन् पक्तिः पकाना
पुष् क्तिन् पुष्टिः पुष्ट होना
प्री क्तिन् प्रीतिः प्रेम
बुध् क्तिन् बुद्धिः बुद्धि
भ्रम् क्तिन् भ्रान्तिः घूमना
भी क्तिन् भीतिः डरना
भज् क्तिन् भक्तिः भक्ति करना
मन् क्तिन् मतिः बुद्धि
युज् क्तिन् युक्तिः उपाय
यम् क्तिन् यतिः जाना
वृध् क्तिन् वृद्धिः बढ़ना
वि + श्रम् क्तिन् विश्रान्तिः विश्राम करना
शक् क्तिन् शक्तिः समर्थ होना
शुध् क्तिन् शुद्धिः शद्ध
श्रु क्तिन् श्रुतिः सुनना
स्मृ क्तिन् स्मृतिः याद करना
स्तु क्तिन् स्तुतिः स्तुति करना
स्था क्तिन् स्थितिः रुकना
सिध् क्तिन् सिद्धिः सिद्ध होना
ज्ञा क्तिन् ज्ञातिः जानना

17. ल्युट् प्रत्यय 

भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए धातु के साथ ल्युट् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।

  • ल्युट् प्रत्यय में ‘यु’ शेष रहता है और ‘ल्’ तथा ‘ट्’ का लोप हो जाता है।
  • यु के स्थान पर अन क प्रयोग होता है।
  • ल्युट् प्रत्यय से बने रूप नपुंसकलिङ्ग में फलम् के समान ही चलते हैं।

उदाहरण

धातु प्रत्यय प्रत्यय युक्त नपुंसकलिङ्ग शब्द अर्थ
ईक्ष् ल्युट् ईक्षणम् देखना
कृ ल्युट् कर्णम् करना
क्रीड् ल्युट् क्रीडनम् खेलना
कथ् ल्युट् कथनम् कहना
क्रुध् ल्युट् क्रोधनम् क्रोध करना
कुप् ल्युट् कोपनम् क्रोधित होना
खाद् ल्युट् खादनम् खाना
खन् ल्युट् खननम् खोदना
गै ल्युट् गायनम् गाना
गम् ल्युट् गमनम् जाना
ग्रह् ल्युट् ग्रहणम् गृहण करना
चुर् ल्युट् चोरणम् चुराना
चि ल्युट् चयनम् चुनना
तुष् ल्युट् तोषणम् संतुष्ट होना
तृ ल्युट् तरणम् तैरना
दा ल्युट् दानम् देना
दुह् ल्युट् दोहनम् दूध दुहना
दृश् ल्युट् दर्शनम् देखना
धाव् ल्युट् धावनम् दौड़ना
ध्यै ल्युट् ध्यानम् ध्यान लगाना
नी ल्युट् नयनम् ले जाना
नम् ल्युट् नमनम् प्रणाम करना
पा ल्युट् पानम् पीना
पठ् ल्युट् पठनम् पढ़ना
पाल् ल्युट् पालनम् पालना
पच् ल्युट् पचनम् पकाना
भज् ल्युट् भजनम् भजना
भू ल्युट् भवनम् होना
भेद् ल्युट् भेदनम् भेदना
भ्रम् ल्युट् भ्रमणम् घूमना
यज् ल्युट् यजनम् यजन करना
रक्ष् ल्युट् रक्षणम् रक्षा करना
लिख् ल्युट् लेखनम् लिखना
वृध् ल्युट् वर्धनम् बढ़ना
श्रु ल्युट् श्रवणम् सुनना
शी ल्युट् शयनम् सोना
सेव् ल्युट् सेवनम् सेवा करना
स्था ल्युट् स्थानम् रुकना
स्मृ ल्युट् स्मरणम् याद करना
हन् ल्युट् हननम् मारना
क्षिप् ल्युट् क्षेपणम् फ़ेकना

संस्कृत व्याकरण
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