संस्कृत में स्त्री प्रत्यय – परिभाषा, भेद और उदाहरण | Stree Pratyay in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)
पुल्लिंग शब्दों में जिन प्रत्ययों को लगाकर स्त्रीलिंग या स्त्रीवाचक शब्द बनाए जाते हैं, उन्हें स्त्री प्रत्यय कहते हैं। जैसे- अज + टाप् = अजा।
स्त्री प्रत्यय के भेद
1. टाप् (आ) प्रत्यय
2. डाप् (आ) प्रत्यय
3. चाप् (आ) प्रत्यय
4. ङीप् (ई) प्रत्यय
5. ङीष् (ई) प्रत्यय
6. ङीन् (ई) प्रत्यय
7. ति प्रत्यय
8. ऊङ् (ऊ) प्रत्यय
1. टाप् (आ) प्रत्यय
अकारान्त पुल्लिंग शब्दों से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए टाप् (आ) लगाया जाता है।
- ‘टाप्’ प्रत्यय के ‘ट्‘ और ‘प्‘ का लोप होकर केवल ‘आ’ ही शेष रहता है।
- ‘टाप्’ प्रत्यय से बने शब्दों के रूप ‘रमा’ के समान चलते हैं।
- यदि पुल्लिंग शब्द के अंत में ‘अक‘ हो तो टाप् (आ) लगने पर ‘इक‘ हो जाता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
सरल | टाप् | सरला |
अज | टाप् | अजा |
सुत | टाप् | सुता |
प्रथम | टाप् | प्रथमा |
अश्व | टाप् | अश्वा |
वृद्ध | टाप् | वृद्धा |
मंद | टाप् | मंदा |
ज्येष्ठ | टाप् | ज्येष्ठा |
शूद्र | टाप् | शूद्रा |
चटक | टाप् | चटका |
वत्स | टाप् | वत्सा |
क्षत्रिय | टाप् | क्षत्रिया |
कनिष्ठ | टाप् | कनिष्ठा |
कृपण | टाप् | कृपणा |
कोकिल | टाप् | कोकिला |
सर्व | टाप् | सर्वा |
एडक | टाप् | एडका |
एत | टाप् | एता |
सेवक | टाप् | सेविका |
बालक | टाप् | बालिका |
मूषक | टाप् | मूषिका |
शिक्षक | टाप् | शिक्षिका |
गायक | टाप् | गायिका |
नायक | टाप् | नायिका |
साधक | टाप् | साधिका |
चालक | टाप् | चालिका |
याचक | टाप् | याचिका |
संयोजक | टाप् | संयोजिका |
कारक | टाप् | कारिका |
नाटक | टाप् | नाटिका |
2. डाप् (आ) प्रत्यय
‘मन्‘ और ‘अन्‘ वाले शब्दों में डाप् प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
- ‘डाप्’ प्रत्यय के ‘ड्‘ और ‘प्‘ का लोप होकर केवल ‘आ’ ही शेष रहता है।
- ‘डाप्’ प्रत्यय से बने शब्दों के रूप ‘रमा’ के समान चलते हैं।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
सीमन् | डाप् | सीमा |
दामन् | डाप् | दामा |
बहुराजन् | डाप् | बहुराजा |
पामन् | डाप् | पामा |
3. चाप् (आ) प्रत्यय
सूर्य शब्द से देवता अर्थ में ‘चाप्’ प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है।
- ‘चाप्’ प्रत्यय के ‘च्‘ और ‘प्‘ का लोप होकर केवल ‘आ’ ही शेष रहता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
सूर्य | चाप् | सूर्या |
4. ङीप् (ई) प्रत्यय
ऋकारान्त और नकारान्त पुल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में बदलने के लिए ‘ङीप्‘ प्रत्यय जोड़ा जाता है।
- ‘ङीप्’ प्रत्यय में ‘ड्‘ और ‘प्‘ का लोप होकर केवल ‘ई’ शेष रहता है।
- ऋ का ‘अर्‘ हो जाता है और न् में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
कर्तृ | ङीप् | कर्त्री |
दातृ | ङीप् | दात्री |
धातृ | ङीप् | धात्री |
अभिनेतृ | ङीप् | अभिनेत्री |
भर्तृ | ङीप् | भर्त्री |
विधातृ | ङीप् | विधात्री |
गुणिन् | ङीप् | गुणिनी |
तपस्विन् | ङीप् | तपस्विनी |
कामिन् | ङीप् | कामिनी |
प्रियवादिन् | ङीप् | प्रियवादिनी |
मनोहारिन् | ङीप् | मनोहारिणी |
- अकारान्त पुल्लिंग शब्दों और कुछ जातिवाचक शब्दों में भी ‘ङीप्‘ प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग शब्द बनाएँ जाते हैं।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
नद | ङीप् | नदी |
देव | ङीप् | देवी |
गोप | ङीप् | गोपी |
महिष | ङीप् | महिषी |
शूकर | ङीप् | शूकरी |
मृग | ङीप् | मृगी |
ब्राह्मण | ङीप् | ब्राह्मणी |
भयङ्कर | ङीप् | भयङ्करी |
- द्विगु समास का अंतिम शब्द यदि अकारान्त है तो ‘ङीप्‘ प्रत्यय लगता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
त्रिलोक | ङीप् | त्रिलोकी |
पंचवट | ङीप् | पंचवटी |
- आरम्भिक आयुवाचक अकारान्त शब्द से स्त्रीलिङ्ग विवक्षा में ‘ङीप्‘ लगता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
कुमार | ङीप् | कुमारी |
किशोर | ङीप् | किशोरी |
- वतुप् / मतुप् प्रत्यायान्त शब्द से स्त्रीलिङ्ग बनाने में ‘ङीप्‘ प्रत्यय लगता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
भवत् | ङीप् | भवती |
श्रीमत् | ङीप् | श्रीमती |
गतवत् | ङीप् | गतवती |
बुद्धिमत् | ङीप् | बुद्धिमती |
- शतृ प्रत्ययांत शब्दों को स्त्रीलिंग में बदलने के लिए ‘ङीप्‘ प्रत्यय का प्रयोग होता है तथा अंतिम वर्ण से पूर्व न् का आगम हो जाता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
वदत् | ङीप् | वदन्ती |
गच्छत् | ङीप् | गच्छन्ती |
दर्शयत् | ङीप् | दर्शयन्ती |
भवत् | ङीप् | भवन्ती |
5. ङीष् (ई) प्रत्यय
षित् और गौर आदि शब्द से ‘ङीष्‘ प्रत्यय लगता है।
- ‘ङीष्’ प्रत्यय में ‘ड्‘ और ‘ष्‘ का लोप होकर केवल ‘ई’ शेष रहता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
नर्तक | ङीष् | नर्तकी |
नट | ङीष् | नटी |
पितामह | ङीष् | पितामही |
मण्डल | ङीष् | मण्डली |
मङ्गल | ङीष् | मङ्गली |
- जाया अर्थ में पुल्लिंग शब्दों से ‘ङीष्’ प्रत्यय लगाया जाता है और ‘ङीष्’ प्रत्यय से पूर्व ‘आनुक् (आन्)‘ का आगम होता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
इन्द्र | ङीष् | इन्द्राणी |
वरुण | ङीष् | वरुणानी |
भव | ङीष् | भवानी |
रुद्र | ङीष् | रुद्राणी |
मातुल | ङीष् | मातुलानी |
शर्व | ङीष् | शर्वाणी |
आचार्य | ङीष् | आचार्याणी |
यवन | ङीष् | यवनानी |
हिम | ङीष् | हिमानी |
6. ङीन् (ई) प्रत्यय
नृ तथा नर शब्द से ‘ङीन्‘ प्रत्यय होता है और दोनों शब्दों में स्थित स्वरों की वृद्धि होती है।
- ‘ङीन्’ प्रत्यय में ‘ड्‘ और ‘न्‘ का लोप होकर केवल ‘ई’ शेष रहता है।
- शार्ङ्गरव आदि अञ् प्रत्ययान्त जो अकारान्त शब्द है उनसे स्त्रीत्व विवक्षा में ङीन् प्रत्यय होता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
नृ | ङीन् | नारी |
नर | ङीन् | नारी |
शार्ङ्गरव | ङीन् | शार्ङ्गरवी |
बैद | ङीन् | बैदी |
ब्राह्मण | ङीन् | ब्राह्मणी |
7. ति प्रत्यय
युवन् शब्द से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ‘ति‘ प्रत्यय का प्रयोग होता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
युवन् | ति | युवतिः |
8. ऊङ् (ऊ) प्रत्यय
उकारान्त शब्द जो मनुष्यजाति वाचक हो तथा जिनकी उपधा में ‘य‘ न हो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ‘ऊङ्‘ प्रत्यय होता है ।
- ‘ऊङ्’ प्रत्यय में ‘ङ्‘ का लोप होकर केवल ‘ऊ’ शेष रहता है।
- पङ्गु शब्द से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए ऊङ् प्रत्यय का प्रयोग होता है।
- जिसका उत्तरपद ऊरु हो तथा पूर्वपद उमानवाची हो ऐसे शब्दों से स्त्रीत्व विवक्षा में ऊङ् प्रत्यय होता है।
- श्वशुर शब्द से ऊङ् प्रत्यय होता है और श्वशुर शब्द के उकार का लोप भी होता है।
उदाहरण
शब्द | प्रत्यय | प्रत्यय युक्त शब्द |
---|---|---|
कुरु | ऊङ् | कुरूः |
ब्रह्मबन्धु | ऊङ् | ब्रह्मबन्धूः |
वीरबन्धु | ऊङ् | वीरबन्धू |
अलाबु | ऊङ् | अलाबूः |
कर्कन्धु | ऊङ् | कर्कन्धूः |
पङ्गु | ऊङ् | पङ्गूः |
करभोरु | ऊङ् | करभोरूः |
तम्भोरु | ऊङ् | तम्भोरूः |
नागनासोरु | ऊङ् | नागनासोरूः |
श्वशुर | ऊङ् | श्वश्रूः |
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