Chhatva Sandhi in Sanskrit

छत्व संधि – शश्छोऽटि | Chhatva Sandhi in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

छत्व संधि का सूत्र है- शश्छोऽटि। यदि श् के पूर्व पदान्त में किसी वर्ग का प्रथम, द्वितीय, तृतीय अथवा चतुर्थ वर्ण हो या र्, ल्, व् अथवा ह् हो तो श् स्थान पर छ् हो जाता है। जैसे- तत् + श्रुत्वा = तच्छ्रुत्वा

छत्व संधि - शश्छोऽटि | Chhatva Sandhi in Sanskrit (Sanskrit Vyakaran)

नियम 1 – वर्ग का प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ वर्ण या र्, ल्, व् या ह् + श् = छ्

उत् + श्रृंखलः = उच्छृंखलः
तत् + श्रुत्वा = तच्छ्रुत्वा
तत् + शरीरम् = तच्छरीरम्
एतत् + शोभनम् = एतच्छोभनम्
उत् + शिष्टः = उच्छिष्टः
तत् + शिव = तच्छिव
उत् + श्वासः = उच्छ्वासः
सत् + शासनम् = सच्छासनम्
सत् + शास्त्रम् = सच्छास्त्रम्
उत् + श्वसनम् = उच्छ्वसनम्
शरत् + शशिः = शरच्छशिः
जगत् + शान्तिः = जगच्छान्तिः
तत् + शंकरः = तच्छंकरः


अन्य व्यंजन संधियाँ

1. श्चुत्व संधि
2. ष्टुत्व संधि
3. जशत्व संधि
4. चर्त्व संधि
5. अनुस्वार संधि
6. अनुनासिक संधि
7. परसवर्ण संधि
8. लत्व संधि
9. छत्व संधि
अन्य नियम

संस्कृत व्याकरण
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One thought on “Chhatva Sandhi in Sanskrit

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