Vyanjan Sandhi in Sanskrit

व्यंजन (हल्) सन्धि की परिभाषा- व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर का मेल होने से जो विकार या परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहते हैं। जैसे- वाक् + ईशः = वागीशः, सत् + आचारः = सदाचारः आदि। संस्कृत में संधियाँ तीन प्रकार की होती हैं…

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Prakritibhav Sandhi in Sanskrit

प्रकृतिभाव संधि का सूत्र है- प्लुतप्रगृह्या अचि नित्यम्। प्रकृतिभाव का अर्थ है संधि करने का निषेध करना, अर्थात् प्रकृत वर्णों में परिवर्तन न करके उन्हें ज्यों का त्यों बनाए रखना। वास्तव में यह संधि का भेद न होकर संधि का अभाव ही है, क्योंकि यहाँ संधि का नियम लागू…

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Parroop Sandhi in Sanskrit

पररूप संधि का सूत्र है- एङि पररूपम्। यदि अकारान्त ‘अ’ उपसर्ग के बाद एङ् (ए, ओ) स्वर आए तो उनका पररूप एकादेश हो जाता है। अर्थात् जब पूर्वपद का अंतिम वर्ण अगले पद के आदि वर्ण के समान होकर उसमें मिल जाए। जैसे- उप + एजते = उपेजते…

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Poorvaroop Sandhi in Sanskrit

पूर्वरूप संधि का सूत्र है- एङः पदान्तादति। यदि पद के अन्त में एङ् (ए, ओ) के बाद ह्रस्व ‘अ’ आए तो ‘ए+अ’ दोनों के स्थान पर पूर्वरूप संधि ‘ए’ एकादेश तथा ‘ओ+अ’ दोनों के स्थान पर ‘ओ’ एकादेश हो जाता है तथा उसके बाद के अकार (अ) का लोप हो जाता है।…

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Ayadi Sandhi in Sanskrit

अयादि संधि का सूत्र है- एचोऽयवायावः। जब प्रथम शब्द के अन्त में ए, ऐ, ओ तथा औ के बाद अ, इ आदि कोई स्वर आए तो ‘ए’ को अय्, ‘ऐ’ को आय्, ‘ओ’ को अव्, और ‘औ’ को आव् हो जाता है। जैसे- हरे + ए = हरये…

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Yan Sandhi in Sanskrit

यण् संधि का सूत्र है- इकोयणचि। इस सूत्र के अनुसार इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर यण् (य्, व्, र्, ल्) हो जाता है। जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॠ, लृ के बाद कोई असमान स्वर आये तो इ/ई के स्थान पर य्, उ/ऊ के स्थान पर व्, ऋ/ॠ के स्थान पर र् और लृ के स्थान पर ल् हो जाता है।…

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Vriddhi Sandhi in Sanskrit

वृद्धि संधि का सूत्र है- वृद्धिरेचि। यदि अ या आ के बाद ए या ऐ आए तो दोनों के स्थान पर ऐ हो जाता है, ओ या औ आए तो औ हो जाता है, ऋ आए तो आर् और लृ आए तो आल् हो जाता है। जैसे- जल + औघः = जलौघः…

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Gun Sandhi in Sanskrit

गुण संधि का सूत्र है- आद्गुणः। यदि अ या आ के बाद ह्रस्व इ या ई आए तो दोनों के स्थान पर ए हो जाता है, उ या ऊ आए तो ओ हो जाता है, ऋ आए तो अर् और लृ आए तो अल् हो जाता है। जैसे- गण + इश: = गणेशः…

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Deergh Sandhi in Sanskrit

दीर्घ संधि का सूत्र है- अकः सवर्णे दीर्घः। यदि ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ तथा ऋ’ स्वरों के पश्चात् ह्रस्व या दीर्घ ‘अ, इ, उ या ऋ’ स्वर आएँ तो दोनों मिलकर क्रमशः ‘आ, ई, ऊ और ॠ’ हो जाते हैं। जैसे- विद्या + आलयः = विद्यालयः…

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Swar Sandhi in Sanskrit

स्वर (अच्) सन्धि की परिभाषा- दो स्वरों के आपस में मिलने पर जो विकार (परिवर्तन) होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं। अथवा जब स्वर के साथ स्वर वर्णों का मेल होता है, तब उस परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं। जैसे- नदी + ईशः = नदीशः (ई + ई = ई)…

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