‘ढ’ से शुरू होने वाले मुहावरें

‘ढ’ से शुरू होने वाले मुहावरे (अर्थ एवं वाक्य प्रयोग सहित)

यहाँ ‘‘ शब्द के कुछ प्रसिद्ध मुहावरे और उनके अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग सहित दिए जा रहे है।

'ढ' से शुरू होने वाले मुहावरें

1. ढील देना – छूट देना
वाक्य प्रयोग : हमें बच्चों को ज्यादा ढील नहीं देनी चाहिए, नहीं तो वह बड़ों का सम्मान करना ही भूल जाते हैं।

2. ढेर हो जाना – गिरकर मर जाना
वाक्य प्रयोग : पुलिस की मुठभेड़ में दो बदमाशों को ढेर हो गए।

3. ढोल पीटना – सबसे बताना
वाक्य प्रयोग : अरे, मीरा को कुछ मत बताना, वरना ये सब जग़ह ढोल पीट देगी।

4. ढपोरशंख होना – केवल बड़ी-बड़ी बातें करना, काम न करना
वाक्य प्रयोग : मिहिर तो ढपोरशंख है, बस बातें ही करता है, काम कुछ नहीं करता।

5. ढर्रे पर आना – सुधरना
वाक्य प्रयोग : अब तो जुआरी महेंद्र ढर्रे पर आ गया है।

6. ढलती-फिरती छाया – भाग्य का खेल या फेर
वाक्य प्रयोग : भोला कल बहुत गरीब था, आज अमीर है, यह सब ढलती-फिरती छाया है।

7. ढाई ईंट की मस्जिद – सबसे अलग कार्य करना
वाक्य प्रयोग : सुरेश, ढाई ईंट की अपनी मस्जिद अलग न बनाओ सबके साथ चलो।

8. ढाई दिन की बादशाहत होना या मिलना – थोड़े दिनों की शान-शौकत या हुकूमत होना
वाक्य प्रयोग : सुमन के कुछ दिन घूमने चले जाने पर नौकर को ढाई दिन की बादशाहत मिल गई।

9. ढेर करना – मार गिराना
वाक्य प्रयोग : कश्मीर में सैनिकों ने कल दो आतंकियों को ढेर कर दिया।

10. ढोल की पोल – खोखलापन / बाहर से देखने में अच्छा, किन्तु अन्दर से खराब होना
वाक्य प्रयोग : सीमा तो ढोल की पोल है, बाहर से भोली और अन्दर से चालाक।

11. ढल जाना – कमजोर हो जाना / वृद्धावस्था की ओर जाना
वाक्य प्रयोग : बढ़ती उम्र के कारण रामलाल का शरीर ढल गया है।

12. ढिंढोरा पीटना – घोषणा करना
वाक्य प्रयोग : नेता लोग चुनाव आने पर केवल ढिंढोरा पीटने आ जाते हैं।  

13. ढोंग रचना – पाखंड करना
वाक्य प्रयोग : आजकल सभी साधुओं पर विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि कुछ साधु ढोंग रचने वाले होते हैं।


अन्य अक्षरों से मुहावरें

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